स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक भारत में संक्रमितों की संख्या 9 लाख 68 हजार 876 पर पहुंच गई। साथ ही कोरोना (Death Due To Coronavirus) से मरने वालों की संख्या अब 24 हजार 915 हो गई है। देश में कोरोना के 3 लाख 31 हजार 146 एक्टिव केस हैं।
तेजी से बढ़ते मामलों को देखते हुए दिल्ली सरकार (Delhi Government) ने बड़ा फैसला है। दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल (Delhi CM Arvind Kejriwal) ने दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi HighCourt) को बताया कि अस्पताल में आने वाली गर्भवती महिलाओं (Coronavirus Pregnant woman,) को कोरोना की जांच करवाना जरूरी नहीं है। अस्पताल में भर्ती होने के बाद ही महिला की जांच करवाई जा सकती हैं।
यह हलफनामा दिल्ली सरकार (Delhi Government) द्वारा मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल (Judge DN Patel) और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया गया। जवाब में कहा गया कि केवल कोरोना के संदिग्ध मामलों का परीक्षण (Coronavirus Test Pregnant Women) किया जाता है। गौरतलब है कि हाईकोर्ट (High Court) ने इन महिलाओं की जांच में लगने वाले समय पर सवाल उठाते हुए दिल्ली सरकार (Delhi Government) को स्थिति साफ करने का निर्देश दिया था।
क्यों लिया गया ये फैसला बता दें कि हाई कोर्ट ने पिछली सुनवाई में दिल्ली सरकार से पूछा था कि गर्भवती महिला में कोरोना वायरस के कोई लक्षण नहीं हों, तो डिलीवरी के लिए अस्पताल ले जाने पर उनका कोरोना टेस्ट करवाना जरूरी है या नहीं? डी एन पटेल व प्रतीक जालान की पीठ ने कहा था कि अगर कोरोना जांच जरूरी है तो सैंपल एकत्र करना और रिपोर्ट जारी करने का काम कम से कम समय में होना चाहिए। इस मामले पर कोर्ट में अगली सुनवाई की तारीख 15 जुलाई तय की थी।
24 घंटों में रिपोर्ट के निर्देश वहीं कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि जिन गर्भवती महिलाओं की भी कोरोना जांच की जा रही है उसकी रिपोर्ट 24 घंटे के अंदर आनी चाहिए, गर्भवती को अपनी रिपोर्ट ने लिए अधिक इंतजार न करना पड़े। कोर्ट ने इसके लिए दिल्ली सरकार से सभी सरकारी और निजी अस्पतालों को दिशा निर्देश जारी करने की आदेश दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वह गर्भवती महिलाओं संबंधी दिशा-निर्देशों को सरकारी व निजी अस्पतालों में तत्काल पहुंचाएं।