यह मंदिर है उत्तर भारत के सबसे व्यस्त तीर्थस्थलों में से एक ब्रजेश्वरी देवी का। इस मंदिर में पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, दिल्ली और उत्तर प्रदेश से बड़ी संख्या में तीर्थयात्री आते हैं। राणा की मानें तो देवी की मूर्ति को आगामी 20 जनवरी को देवी की ‘पिंडी’ से हटा दिया जाएगा। इसके बाद भक्तों के बीच इसका ‘प्रसाद’ वितरित किया जाएगा।
ऐसा माना जाता है कि इस मूर्ति का मक्खन त्वचा की पुरानी बीमारियों और जोड़ों के दर्द को ठीक करता है। एक किंवदंती के मुताबिक, जब देवी राक्षसों से लड़ाई के दौरान घायल हो गई थीं, तो मकर संक्रांति पर देवताओं द्वारा उनके घावों का मक्खन से इलाज किया गया था।
हर साल मकर संक्रांति पर मक्खन की मूर्ति स्थापित करने की तैयारी शुरू होती है, जिसे मंदिर में सप्ताह भर चलने वाले त्योहार के रूप में मनाया जाता है।