सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हो रहा है विरोध
आपको बता दें कि मौजूदा सीजन के पहले चरण में मंदिर 15 नवंबर को खुला और 27 दिसंबर को बंद हुआ। इस सीजन को ‘मंडला पूजा’ के रूप में जाना जाता है। बता दें कि केरल के मंदिर शहर में 28 सितंबर के सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का हिंदू समूहों द्वारा विरोध किया जा रहा है, जिसमें सभी उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति दी गई है। पहले 10 से 50 वर्ष की आयु वाली महिलाओं के मंदिर में प्रवेश करने पर रोक थी।
मंदिर और आसपास के इलाकों में निषेधात्मक आदेशों का विस्तार
इस फैसले के बाद से प्रतिबंधित रह चुके आयु समूह की लगभग तीन दर्जन महिलाओं ने मंदिर जाने वाले मार्ग पर जाने की कोशिश की, लेकिन ये सभी असफल रहीं। यही नहीं इन सभी महिलाओं को जबरदस्त विरोध का सामना करना पड़ा। ऐसे ही माहौल को शांत करने और तीर्थयात्रियों के लिए सहजता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पथनमथिट्टा के जिला अधिकारी सबरीमाला और उसके आसपास के इलाकों में निषेधात्मक आदेशों का विस्तार कर रहे हैं।
भारी विरोध के बावजूद फैसला लागू करने की कोशिश
बताया जा रहा है कि सबरीमाला मंदिर कैलेंडर के हिसाब से सबसे महत्वपूर्ण सीजन ‘मकरविलक्कू’ के लिए यह रविवार शाम पांच बजे फिर से खुलेगा। 14 जनवरी को ‘मकरविलक्कू’ का दिन पड़ने के साथ 20 जनवरी को अंतिम रूप से बंद हो जाएगा। खास बात ये है कि 14 जनवरी का दिन मंदिर के लिए सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है, क्योंकि क्षितिज पर आकाशीय प्रकाश का दर्शन होता है, जिसे शुभ माना जाता है। गौरतलब है कि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की अगुवाई वाली लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) सरकार कांग्रेस, भाजपा के और अन्य कई हिंदू समूहों द्वारा विरोध जताने के बावजूद शीर्ष अदालत के फैसले को लागू करने की कोशिश कर रही है।