पति ने स्टाम्प पर लिख कर दिया तलाक, लड़की ने शुरू की लड़ाई
Published: Oct 24, 2016 02:00:00 pm
लड़की के पति ने उसको एक नोटिस भेजा जिसमें तीन बार ‘तलाक’ लिखा हुआ था
पुणे। सुप्रीम कोर्ट में ‘ट्रिपल तलाक’ के मुद्दे पर चल रही सुनवाई के बीच बारामती की एक 18-वर्षीय मुस्लिम युवती अर्शिया ने अपने पति द्वारा दिया गया तीन तलाक मानने से इंकार कर दिया है। अब युवती इस तलाक के विरूद्ध फैमिली कोर्ट में जाने की तैयारी कर रही है।
पुणे की रहने वाली अर्शिया ने बताया कि जब वो 16 साल की थी तब उनकी शादी सब्जी व्यापारी मोहम्मद काजिम बागवान से कर दी गई थी। शादी के एक साल बाद उनकी एक बच्ची भी हुई। अर्शिया का आरोप है कि, इसके कुछ दिनों बाद ही उसके ससुरालवालों ने उसे टॉर्चर करना शुरू कर दिया था। जिसके बाद वह अपने मायके पुणे में आ गई।
100 रुपए के स्टाम्प पर भेजा तलाक
मायके आने के कुछ ही दिनों बाद लड़की के पति ने उसको एक नोटिस भेजा जिसमें तीन बार ‘तलाक’ लिखा हुआ था। नोटिस में लिखा था, “मैंने तुझे तलाक, तलाक, तलाक दिया।” यही नहीं, इस नोटिस में दो गवाहों के नाम तथा हस्ताक्षर भी दर्ज है और नोटिस को बाकायदा 100 रुपए के स्टाम्प पर तैयार किया गया है। नोटिस के जरिए भेजे गए तलाकनामे में अर्शिया के पति ने उनके परिवार पर अभद्रता करने का आरोप लगाते हुए उसे ‘शरिया’ के हिसाब से जायज ठहराया है।
ये कहा अर्शिया ने तलाक के नोटिस पर
अर्शिया ने कहा कि उसे अपने पति का नोटिस तो मिल चुका है, लेकिन वो इन्हें मानने को तैयार नहीं हैं। अर्शिया ने ‘ट्रिपल तलाक’ को एक घृणित प्रथा बताते हुए कहा कि वो इस ‘एकतरफा’ तलाक को स्वीकार नहीं करती और जल्दी ही इसके खिलाफ फैमिली कोर्ट जाएंगी।
अर्शिया ने कहा कि वो अब उन महिलाओं के साथ भी खड़ी होंगी जिन्हें इस तरह की प्रथाओं से जूझना पड़ता है। उनके बताए अनुसार उनके पति ने पुणे आने के बाद फोन उठाना भी बंद कर दिया। जब अर्शिया ने पति के पास जाकर मिलने का प्रयास भी किया लेकिन वे बात करने को तैयार नहीं हुए। अर्शिया ने बताया, “उन्होंने कहा था कि वे जल्द ही मुझे यहां से लेकर जाएंगे, लेकिन वे लौट कर नहीं आए। 8 अक्टूबर को हमें एक नोटिस मिला जिसमें तीन बार तलाक लिखा हुआ था।”
अर्शिया के भाई और पिता पर पुलिस केस भी दर्ज करवा दिया
नोटिस को लेकर अर्शिया के पति मुहम्मद काजिम ने कहा है कि, “हमने कई बार इस मसले को सुलझाने का प्रयास किया। लेकिन अर्शिया के परिवार वाले अक्सर लड़ाई कर उन्हें घर से निकाल देते थे।” काजिम के अनुसार उन्होंने अर्शिया के भाई और पिता के खिलाफ बारामती पुलिस स्टेशन में मामला भी दर्ज करवाया था। हालांकि काजिम के इन सभी आरोपों को अर्शिया और उनके परिवार ने पूरी तरह गलत बताया है।
सामाजिक संस्था कर रही है अर्शिया की हेल्प
पुणे की संस्था ‘मुस्लिम सत्य शोधक मंडल’ अर्शिया को लीगल हेल्प मुहैया करवा रही है। संस्था के अध्यक्ष शम्सुद्दीन तंबोली ने बताया कि अर्शिया के साथ बहुत गलत हुआ है। हम उसे न्याय दिलाने के लिए हर कानूनी हेल्प को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि अर्शिया की उम्र बहुत कम है और उसके सामने पूरी जिंदगी पड़ी हुई है। हम धार्मिक गुरुओं से भी इस मामले में राय ले रह हैं। हम अर्शिया को हरसंभव मदद देने का प्रयास करेंगे।