मौसम विभाग का अलर्टः अगले दो दिन देश के 12 राज्यों में जमकर बरसेंगे बदरा आपको बता दें कि 15 मई को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था जिसमें उन्हें गैर इरादतन हत्या का दोषी पाया गया था और उन्हें तीन साल जेल की सजा भी सुनाई गई थी। कोर्ट ने हालांकि उन पर आईपीसी की धारा 323 के तहत एक हजार रुपये का जुर्माना लगाया था।
पुनर्विचार याचिका पर गौर करने को राजी कोर्ट
मृतक के परिवार के सदस्यों की ओर से दायर एक पुनर्विचार याचिका पर गौर करने सुप्रीम कोर्ट राजी हो गया है। न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की एक पीठ ने पुनर्विचार याचिका पर गौर करने की सहमति जताई है। यही नहीं इस मामले में अब सिद्धू को एक नोटिस जारी किया गया है। न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर और न्यायमूर्ति कौल की एक पीठ ने 15 मई को सिद्धू के सहयोगी और सह-आरोपी रूपिन्दर सिंह संधू को सभी आरोपों से बरी कर दिया था। आईपीसी की धारा 323 के तहत अधिकतम एक वर्ष जेल की सजा या एक हजार रुपये का जुर्माना लगाया या दोनों लगाया जा सकता है।
आपको बता दें कि 27 दिसंबर 1988 को पटियाला में सड़क पर 65 वर्षीय गुरनाम सिंह से बहस के बाद सिद्धू के मुक्का मारने से उनकी मौत हो गई थी। मृतक के परिजनों ने पिछली सुनवाई के दौरान नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा 2012 में एक चैनल को दिए इंटरव्यू को सबूत के तौर पर पेश किया था। इसमें सिद्धू ने स्वीकार किया था कि उनकी पिटाई से ही गुरनाम सिंह की मौत हुई थी।