जबकि विश्वविद्याल के इतिहास विभाग के सहायक प्रोफेसर राजीव श्रीवास्तव का कहना है कि ये सिलेबस का हिस्सा है। इतिहास की पढ़ाई में इन सब चीजों के बारे में पढ़ाया जाता है। उसी के अनुसार परीक्षा में सवाल पूछे जाते हैं। यदि छात्रों को ऐसी चीजों के बारे में पूछा नहीं जाएगा, तो वे इनके बारे में कैसे जान पाएंगे? ये सब चीजें मध्यकालीन इतिहास का हिस्सा हैं और ये छात्रों को पढ़ाई जानी जरूरी हैं।
उधर, मुस्लिम महिला फांउडेशन ने यूनिवर्सिटी का समर्थन किया है। फांउडेशन की नेशनल सदर नाजनीन अंसारी ने कहा कि हलाला के बारे में केवल पेपर ही नहीं, बल्कि अभियान चलाकर सबको बताया जाना चाहिए। ये मुस्लिम महिलाओं के लिए अभिशाप है।’
गौर हो, परीक्षाओं में पहले भी ऐसे सवाल पूछे जाते रहे हैं। और ऐसे सवाल पूछना संबंधित सब्जेक्ट के अंतर्गत ही आता है। कुछ समय पहले पॉलिटिकल साइंस विभाग के एमए पहले सेमेस्टर की परीक्षा में 15 नंबर का सवाल रखा गया था, जिसमें भाजपा पर पर निबंध लिखने को कहा गया था। इसी पेपर में दिल्ली की
आम आदमी पार्टी पर भी सवाल पूछा गया था। प्रोफेसर नरेंद्र स्याल का कहना है कि परीक्षा में पूछे गए सवालों पर किसी तरह की राजनीति नहीं की जानी चाहिए। छात्रों को इतिहास के हर पहलू के बारे में जानकारी होनी चाहिए। इसलिए इतिहास के हर पहलू के बारे में पढ़ाया जाता है। उसी के अनुसार परीक्षा में सवाल पूछे जाते हैं।