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रफाल मामला: मोदी सरकार ने 126 की जगह 36 हीं क्यों खरीदा? ये है इसका बड़ा कारण

locationनई दिल्लीPublished: Dec 16, 2018 07:29:02 am

Submitted by:

Anil Kumar

कांग्रेस और तमाम विपक्षी दल कोर्ट के फैसले पर सवाल खड़े कर रही है तो वहीं सरकार इसे विपक्ष का प्रोपेगेंड़ा बता रही है।

रफाल मामला: मोदी सरकार ने 126 की जगह 36 हीं क्यों खरीदा? ये है इसका बड़ा कारण

रफाल मामला: मोदी सरकार ने 126 की जगह 36 हीं क्यों खरीदा? ये है इसका बड़ा कारण

नई दिल्ली। रफाल सौदे को लेकर जमकर राजनीति हो रही है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी फिर से शुरु हो गया है। कांग्रेस और तमाम विपक्षी दल कोर्ट के फैसले पर सवाल खड़े कर रही है तो वहीं सरकार इसे विपक्ष का प्रोपेगेंड़ा बता रही है। सरकार का आरोप है कि विपक्ष मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए झूठे आरोप लगा रही है। लेकिन कोर्ट के इस फैसले के बाद भी कई सवालों के जवाब अभी भी अनुत्तरित है। जिसमें सबसे महत्वपूर्ण दो सवाल हैं। पहला यह कि रफाल का दाम किया है और दूसरा यह कि 126 की जगह 36 विमान ही क्यों खरीदा जा रहा है?

विपक्ष के सवाल

बता दें कि विपक्षी दल रफाल सौदे को लेकर तीन-चार बुनियादी सवाल उठा रहे हैं और सरकार से मांग कर रहे हैं कि इसका जवाब देश की जनता को दें। विपक्ष का कहना है कि कोर्ट के फैसले में इन सवालों के जवाब नहीं हैं। मसलन विपक्ष का सवाल है- (1). 526 करोड़ की जगह 1600 करोड़ रुपए में क्यों खरीदा गया?(2). HAL की जगह अनिल अंबानी की कंपनी को क्यों चुना गया? (3). 126 रफाल की जगह 36 हीं क्यों खरीदा जा रहा है? (4). खरीद प्रक्रिया में पार्दर्शिता नहीं है? बता दें कि कांग्रेस इन सवालों के जरिए सरकार को घेरने का प्रयास कर रही है और उत्तर जानना चाहती है।

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126 नहीं,36 हीं क्यों?

बता दें कि रफाल सौदे को लेकर विपक्ष ने जो भी सवाल खड़े किए उन्ही के संदर्भ में SC ने कुछ टिप्पणी करते हुए शुक्रवार को अपना फैसला दिया। कोर्ट ने कहा कि यूपीए शासनकाल में तय हुए 126 विमानों के सौदे को 36 में तब्दील किया गया। पहले 18 विमान बनकर भारत में आता और बाकी के 108 भारतीय एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के लाइसेंस के अतंर्गत बनने थे। लेकिन अब नई प्रक्रिया के मुताबिक मोदी सरकार में 36 विमान बनकर भारत आएगा, जो कि पूरी तरह से लोडेड होगा। कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा कि 10 अप्रैल, 2015 को भारत-फ्रांस ने एक संयुक्त बयान जारी किया जिसके मुताबिक उड़ने की हालत में 36 विमानों को अंतर सरकारी समझौते के तहत अधिग्रहित किया जाएगा। इस समझौते को डीएसी ने मंजूरी दे दी। इसी बीच 126 विमानों के आरपीएफ को जून 2015 में पूरी तरह से वापस ले लिया गया था। इसे कैबिनेट की सुरक्षा समिति ने हरी झंडी दे दी। इसके बाद 23 सितंबर 2016 को जो भी समझौता हुआ उसमें विमान के साथ हथियार, तकनीकी समझौते और ऑफसेट कांट्रैक्टर के लिए हस्ताक्षर किए गए थे। बता दें कि सेना के एक स्कॉर्डन में 18 विमान होते हैं। मोदी सरकार ने सेना की आवश्कता को देखते हुए दो स्कॉर्डन खरीदने का फैसला लिया।

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SC ने अपने फैसले में क्या कहा?

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने 29 जून 2007 में 126 मीडियम मल्टीरोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एमएमआरसीए) के अधिग्रहण की जरूरत को मंजूरी दी थी। इसमें से 18 विमान असल निर्माता से खरीदा जाएगा और बाकी के 108 का निर्माण लाइसेंस के तहत भारत में HALबनाएगा। ये सभी 108 विमान का निर्माण हस्ताक्षर से 11 वर्षों के अंदर पूरा किया जाएगा। इसको लेकर 6 विक्रेताओं ने अप्रैल 2008 में प्रस्ताव प्रस्तुत किए। इसके बाद नवंबर 2011 में सार्वजनिक बोली लगनी शुरु हुई और फिर 2012 में कम बोली लगाने वाले फ्रांस की दसॉल्ट एविएशन को चुन लिया गया। आगे की यह प्रक्रिया चलती रही लेकिन 2014 में सरकार बदल गई। केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया है कि चूंकि HAL को 2.7 फ्रांस की बजाए रफाल लड़ाकू विमान बनाने में अत्यधिक समय लगता। उसके बाद HAL kकी ओर से दसॉल्ट के कांट्रैक्ट पर 108 विमानों के निर्माण का मुद्दा तीन वर्षों तक अनसुलझा ही रहा।

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कीमतों में कैसे हुई वृद्धि?

बता दें कि कीमत बढ़ने के मामले में कोर्ट ने अपने फैसल में बताया है कि चूंकि दसॉल्ट से कॉन्ट्रेक्ट के मुताबिक खरीद प्रक्रिया में देरी होने पर कीमत (इन-बिल्ट एस्केलेशन यानी देरी होने पर कीमत में वृद्धि) प्रभावित होगी। इसके अलावे इस बीच यूरो-रुपये एक्सचेंज ने भी सौदे पर असर डाला।


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