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घूमने के साथ मिलेगा प्रकृति का ज्ञान

locationनई दिल्लीPublished: Jan 16, 2016 08:05:00 am

Submitted by:

Abhishek Pareek

करीब दो दशक से जिला मुख्यालय पर गद्का की चौकी इलाके में बेगाने पड़े स्वर्ण जयंती पार्क के दिन फिरने की उम्मीद जागी है।

करीब दो दशक से जिला मुख्यालय पर गद्का की चौकी इलाके में बेगाने पड़े स्वर्ण जयंती पार्क के दिन फिरने की उम्मीद जागी है। इसके लिए वन विभाग की ओर से पार्क को विकसित करने के लिए 25 लाख रुपए के प्रस्ताव तैयार कर मंजूरी के लिए सरकार को भेजे गए हैं। अगर प्रस्तावों को सरकार से मंजूरी मिल जाती है, तो शहर के नजदीक लोगों को अच्छा पिकनिक स्पॉट मिल सकेगा। साथ ही लोगों को वन एवं वन्यजीवों को जानने का मौका मिलेगा।

करौली को जिला बने भले ही 18 साल का लम्बा अरसा गुजरा है, लेकिन जिला मुख्यालय पर लोगों को पार्क के रूप में घूमने-फिरने के लिए एकमात्र सर्किट हाउस को छोड़ कोई जगह नहीं है। ऐसे में बच्चे घरों में टेलीविजन और वीडियो गेम्स तक ही सीमित रह गए हैं। ऐसे में प्रत्यक्ष रूप से प्रकृति के प्रति उनका जुड़ाव भी कम सा हो गया है। इसी को लेकर वन विभाग की ओर से यहां गद्का की चौकी स्थित स्वर्ण जयंती पार्क को विकसित करने के लिए ईको ट्यूरिज्म के तहत 25 लाख रुपए का प्रस्ताव तैयार किया गया है। इसमें पेड़-पौधों के बारे में जानकारी देने से लेकर घूमने-फिरने के लिए रास्तों व बैठने की व्यवस्था होगी। पेड़ों के नाम व उनकी जानकारी के बोर्ड लगाए जाएंगे। ऐसे में स्कूली बच्चों को शैक्षिक भ्रमण पर भी यहां लाया जा सकेगा।

यह होंगे काम
पार्क में घूमने के लिए एक किलोमीटर लम्बाई में 50 हजार की लागत से वॉक-वे का निर्माण होगा। 50 हजार खर्च कर पेड़-पौधों व वन्यजीवों के बारे में जानकारी देने वाले साइनेज व कचरा-पात्र रखे जाएंगे। 70 हजार की लागत से इंटरप्रिटेशन सेंटर (प्रकृति व्याख्यान केन्द्र) बनेगा, जिसमें कैमरा, दूरबीन सहित वन एवं वन्यजीवों के बारे में जानकारी देने वाले फोटो लगाए जाएंगे। पर्यटकों के बैठने के लिए स्थान पर 30 हजार रुपए खर्च किए जाएंगे। फूलदार पौधे लगाकर उद्यान तैयार करने पर एक लाख, 225 मीटर में एप्रोच रोड पर साढ़े आठ लाख तथा 600 मीटर में चारदीवारी निर्माण पर 13.50 लाख रुपए खर्च करने का प्रस्ताव तैयार किया है।

एक हेक्टेयर में फैला उद्यान
वर्ष 1997-98 में स्वर्ण जयंती पार्क का निर्माण हुआ, लेकिन इसके बाद इसके विकास पर ध्यान नहीं दिया गया। ना ही लोगों को इससे जोड़ा गया। इस कारण यह बदहाल होता चला गया। कई लोगों को तो इसके बारे में जानकारी तक नहीं है। एक हेक्टेयर में फैले इस पार्क में 10 प्रजातियों के पेड़ जिनमें चंदन, खिरनी, आंवला, अर्जुन, पलास, इमली, रीठा, अमलताश, जामुन आदि लगे हुए हैं। इसके अलावा सियार, पाटोगोह, सेही, मोर, कई तरह की चिडिय़ा, नीलकंठ, तीतर आदि वन्यजीव व पक्षी इसमें मिलते हैं। इसमें गेस्ट हाउस भी बना हुआ है।

लगेगा प्रवेश शुल्क
पार्क के बेहतर संचालन के लिए विभाग यहां आने वालों से शुल्क भी निर्धारित करेगा। ताकि इस राशि से पार्क का संचालन और मरम्मत हो सके।

घूमने के लिए बेहतर जगह
जिला मुख्यालय पर लोगों को घूमने-फिरने के लिए बेहतर जगह उपलब्ध होने के साथ बच्चों का भी ज्ञानवर्धन हो सकेगा। इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर राज्य सरकार को भिजवाया जा रहा है।
– संग्राम सिंह कटियार, उप वन संरक्षक, करौली।

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