सुप्रीम कोर्ट में सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से पक्ष रखते हुए वकील राजीव धवन ने कहा कि देश के आजाद होने की तारीख और संविधान की स्थापना के बाद किसी धार्मिक स्थल का परिवर्तन नहीं किया जा सकता। राजीव धवन ने कहा महज स्वयंभू होने के आधार पर यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता कि अमुक स्थान किसी का है।
सुप्रीम कोर्ट से मैं चाहूंगा कि वह इस मामले के तथ्यों के आधार पर फैसला दे। उन्होंने यह भी कहा कि हिंदुओं ने मूर्ति चोरी से रखी गई थीं।
राम माधव का बड़ा बयान- पाकिस्तान के कब्जे में जो कुछ भी है, हमारे पास आ जाएगा विवाद पर विराम लगना चाहिए मुस्लिम पक्षकारों के वकील अयोध्या विवाद पर विराम लगना चाहिए। अब राम के नाम पर फिर कोई रथयात्रा नहीं निकलनी चाहिए। उनका इशारा भाजपा द्वारा 1990 में निकाली गई रथयात्रा की ओर था जिसके बाद बाबरी विध्वंस हुआ था।
उन्होंने शीर्ष अदालत से कहा कि विवादित जमीन के ढांचे के मेहराब के अंदर के शिलालेख पर ‘अल्लाह’ शब्द मिला। धवन साबित करने की कोशिश कर रहे हैं कि विवादित जगह पर मंदिर नहीं बल्कि मस्जिद थी। राजीव धवन ने कहा कि बाबरी मस्जिद में भगवान रामलला की मूर्ति स्थापित करना छल से हमला करना है।
धारा 370 हटने के बाद केंद्र सरकार के मंत्रियों और अधिकारियों का जम्मू-कश्मीर मुस्लिम पक्ष के पास कब्जे का अधिकार नहीं धवन ने हिन्दू पक्ष की दलील का हवाला देते हुए कहा कि मुस्लिम पक्ष के पास विवादित जमीन के कब्जे के अधिकार नहीं है क्योंकि 1934 में निर्मोही अखाड़ा ने गलत तरीके से अवैध कब्जा कर लिया था। धवन के मुताबिक इसके बाद नमाज अदा नहीं की गई।
IAF के बेड़े में 8 अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टर शामिल, अब पाक आतंकियों की खैर नहीं अब मांग रहे हैं जमीन का मालिकाना हक बता दें कि अयोध्या विवाद पर सुनवाई के 17वें दिन मुस्लिम पक्षों ने मस्जिद पर हमले का जिक्र किया था। वरिष्ठ अधिवक्ता धवन ने आरोप लगाया था कि हिन्दुओं ने 1934 में बाबरी मस्जिद पर हमला किया था। फिर 1949 में अवैध घुसपैठ की और 1992 में बाबरी मस्जिद को तोड़ दिया। अब कह रहे हैं कि संबंधित जमीन पर उनके अधिकार की रक्षा की जानी चाहिए।