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SC में मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन का दावा- निर्मोही अखाड़े को पूजा का हक, जमीन का नहीं

निर्मोही अखाड़े को अंदर का अहाता दिया गया था
टाइटल सूट हमेशा सुन्‍नी वक्‍फ बोर्ड के पास रहा है
पूजा करने की अनुमति सहजता की वजह से दी गई

नई दिल्लीSep 04, 2019 / 02:20 pm

Dhirendra

नई दिल्‍ली। सुप्रीम कोर्ट में अयोध्‍या विवाद पर बुधवार को सुनवाई जारी है। आज सुनवाई का 19वां दिन है। सर्वोच्च अदालत में सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन अपनी दलीलें रख रहे हैं। सबसे पहले सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन ने आज इस मामले में एक पक्षकार इकबाल अंसारी पर हुए हमले की ओर कोर्ट का ध्यान दिलाया।
वकील धवन ने कहा कि मैं, नहीं जानता कि इस हमले की जांच कराए जाने की जरूरत है या नहीं, लेकिन इस घटना पर कोर्ट की सामान्य टिप्पणी भी मायने रखती है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम देखेंगे कि इस मामले में क्या किया जा सकता है। जो कानून जो उतिच होगा हम करेंगे।
आंतरिक अहाते पर निर्मोही अखाड़े का अवैध कब्‍जा

बुधवार को सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्षकार की ओर से कहा गया कि बाहरी अहाता तो शुरू से ही निर्मोही अखाड़े के कब्जे में रहा है। अब क्यों इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्णय के आधार पर दलीलें दी जा रही हैं कि जो झगड़ा है वह आंतरिक अहाते को लेकर है। निर्मोही अखाड़े ने आंतरिक अहाते पर जबरन कब्जा कर रखा है।
सुप्रीम कोर्ट में वकील राजीव धवन ने कहा कि 1885 में निर्मोही अखाड़ा ने पूजा का अधिकार मांगा था। अखाड़ा के अनुरोध पर उन्हें पूजा के बाहरी चबूतरा दिया गया। तब वहां टाइटल सूट का कोई मसला नहीं था। अब निर्मोही अखाड़ा की ओर से अंदर के कोर्टयार्ड का दावा किया जा रहा है।
टाइटल सूट हमेंशा मुसलमानो के पास रहा

टाइटल सूट हमेशा से मुसलमानों के पास था। वे पूजा करना चाहते थे। मुसलमानों ने उन्हें अनुमति दी लेकिन टाइटल हमेशा हमारे साथ था। 1885 में निर्मोही अखाड़ा ने राम चबूतरा पर पूजा का अधिकार कोर्ट से मांग था, मालिकाना हक का दावा नहीं किया था।
सहजता का अधिकार से ताल्‍लुक होता है

इस पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि अगर आप अखाड़ा को पूजा के अधिकार की बात स्वीकारते हैं तो इसका मतलब ये है कि आप ये मान रहे हैं कि वहां पर मूर्तियां थीं। ऐसे में ये हिस्सा सामने नहीं आता है जिसपर आप मस्जिद का दावा करते हैं। इसके जवाब में राजीव धवन ने कहा कि पूजा के अधिकार तो सहजता के आधार पर दिया गया था। इसके जवबा में चंद्रचूड़ ने कहा कि सहजता का अधिकार से ताल्‍लुक है।
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में इस मसले की सुनवाई 6 अगस्त से रोजाना चल रही है. अभी तक निर्मोही अखाड़ा, रामलला, हिंदू महासभा के वकील अपनी दलीलें रख चुके हैं।

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