राजनाथ सिंह करेंगे 3 पुलों का उद्घाटन, पलक झपकते बॉर्डर पर पहुंच सकेगी भारतीय सेना
सैन्य बलों (armed forces) की मिलेगी मदद-
यह पुल रणनीतिक तौर पर अहम इलाकों में हैं और ये तेजी से सैनिकों और हथियारों की आवाजाही सुनिश्चित करने में सैन्य बलों की मदद करेंगे। इन पुलों में हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति जिले के दारचा में 360 मीटर लंबा दारचा-बरसी स्टील पुल और कुल्लू जिले में मनाली के पास 110 मीटर लंबा पालचन पुल शामिल है। भागा नदी पर दारचा पुल देश का दूसरा सबसे लंबा पुल है, जिस पर 27.25 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। यातायात प्रवाह में सुधार के अलावा नया पुल भारी सामान को लाने-ले जाने की क्षमता में मददगार साबित होगा।
दारचा राज्य के अंतिम छोर पर 11,020 फीट की ऊंचाई पर जिला मुख्यालय केलोंग से लगभग 33 किलोमीटर आगे स्थित है। दारचा से एक सड़क शिंकू ला (पास) की ओर निकलती है, जो सबसे छोटा रास्ता है, जो कि पद्म की ओर सुदूर जांस्कर क्षेत्र तक जाता है, जो लेह से लगभग 30 किलोमीटर दूर है। 297 किलोमीटर लंबी दारचा-निम्मू-पद्म सड़क को पाकिस्तान और चीन से खतरे के मद्देनजर लद्दाख के तीसरे रणनीतिक विकल्प के रूप में पहचाना गया है। अधिकारियों ने कहा कि डबल लेन सड़क निर्माणाधीन है और 2023 तक पूरी होने की संभावना है।
अटल सुरंग की तरह एक अन्य सुरंग के लिए हो रहा अध्ययन-
इसके अलावा सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) मनाली के पास अटल सुरंग की तरह 13.5 किलोमीटर लंबे शिंकू ला के नीचे एक सुरंग के निर्माण की व्यवहार्यता का अध्ययन कर रहा है। “शिंकू ला के नीचे की सुरंग मनाली और लेह के बीच की दूरी को काफी कम कर देगी।”
अरुणाचल में रखी अहम सुरंग की नींव-
ब्यास नदी पर बने पालचन पुल पर 12.83 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। बीआरओ की ओर से 44 प्रमुख पुलों को पश्चिमी, उत्तरी और उत्तर-पूर्वी भारत में सात सीमावर्ती राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में रिकॉर्ड समय में बनाया गया है। इस दौरान राजनाथ सिंह ने अरुणाचल प्रदेश में महत्वपूर्ण नेचिपु सुरंग की नींव भी रखी। इस परियोजना को बीआरओ की 70 सड़क निर्माण कंपनी ने पूरा किया है। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर भी इस वर्चुअल उद्घाटन कार्यक्रम में शामिल हुए और उन्होंने अपने सरकारी आवास से ही इनका उद्घाटन किया।