गुरुमूर्ति ने एक ट्विटर यूजर के ट्वीट पर अपनी बात रखी। मूर्ति ने यहां साफ तौर पर लिखा कि सुप्रीम कोर्ट के जजों को ये देखना चाहिए कि केस और सबरीमाला में जो हुआ इनके बीच कोई संबंध है या नहीं। उन्हें लगाता है कि इन दोनों के बीच किसी भी तरह का कोई संबंध होने का लाखों में एक भी चांस है तो लोगों को अयप्पन के खिलाफ फैसला पसंद नहीं आएगा।
गुरुमूर्ति का ये ट्वीट ज्यादा लोगों को पसंद नहीं आया और लोगों ने उन्हें ट्रोल करना शुरू कर दिया। लोगों की आलोचना के बाद गुरुमूर्ति ने एक बार फिर अपनी बात को दोहराया। उन्होंने फिर लिखा भारत के बुद्धिजीवियों के पाखंड को देखकर हैरान हूं जो लोगों के विश्वास को कचरा की तरह समझते हैं। आपको यहां बता दूं कि देश में 99 फ़ीसदी लोग भगवान में यकीन करते हैं। 100 फीसदी ज्योतिष में विश्वास रखते हैं। यही नहीं नास्तिक करुणानिधि के लिए उनके अनुयायियों ने खूब प्रार्थना की। मैं भी उनमें से हूं जो भगवान को मानता है, ज्योतिष को नहीं।”
आपको बता दें कि हरि प्रभाकरन नाम के ट्विटर यूज़र ने सबरीमाला की फोटो के साथ लिखा है, कोई कानून भगवान से बड़ा नहीं, अगर आप मंदिर में सभी को घुसने दोगे तो वो सभी को आने से मना कर देगा। खास बात यह है कि इस ट्वीट को 3400 लोगों ने लाइक किया है और 1700 लोगों ने रीट्वीट भी किया। इसके बाद दूसरे लोगों ने भी प्रतिक्रिया देना शुरू कर दी। गोपालकृष्णन नाम के यूजर ने लिखा है कि केरल के लोगों को भरोसा है कि भगवान अयप्पन नाराज हैं। सुप्रीम कोर्ट को उस मामले में दखल नहीं देना चाहिए जो लोगों के विश्वास और प्रथाओं के बारे में हो।
ये है सबरीमाला केस केरल के ऐतिहासिक सबरीमाला मंदिर में 10 वर्ष से लेकर 50 वर्ष तक की महिलाओं का प्रवेश वर्जित है। सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान कहा था कि महिलाओं को भी पुरुषों की तरह पूजा करने का बराबर का अधिकार है और यह किसी कानून के ऊपर निर्भर नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जो नियम पुरुषों पर लागू होता है, वही महिलाओं पर भी लागू होता है। कोर्ट ने यह भी कहा था कि महिलाओं के पूजा का अधिकार किसी कानून पर निर्भर नहीं है लेकिन यह एक संवैधानिक अधिकार है।
सबरीमाला मंदिर में इस तरह के प्रतिबंध के खिलाफ कई महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने विरोध जताया था. केरल सरकार ने भी महिलाओं का पक्ष लेते हुए कहा था कि वो महिलाओं के सबरीमाला मंदिर में प्रवेश के हक में है.