उर्जित पटेल के इस्तीफे पर कांग्रेस मोदी सरकार पर हमलावर, देश में अघोषित इमरजेंसी लागू
इन कारणों से पटेल ने दिया इस्तीफा?
आपको बता दें कि उर्जित पटेल ने इस्तीफा देने के बाद कहा है कि यह उसका व्यक्तिगत विचार है और निजी कारणों से इस्तीफा दिया है। लेकिन मीडिया रिपोर्टों में उर्जित पटेल के इस्तीफे को लेकर कई तरह की बातें कही जा रही हैं। इसमें से कुछ कारण ये हो सकते हैं-
1. संसद में आरबीआई के हालात पर हो चर्चा
ऐसा माना जा रहा है कि उर्जित पटेल ने इस समय को इसलिए चुना क्योंकि मंगलवार से शीतकालीन सत्र शुरु हो रहा है। हो सकता है वे चाहते हों कि इस मामले पर सदन में चर्चा हो। ताकि आरबीआई की स्वायत्तता को बरकरार रखा जा सके। यदि वे इस समय इस्तीफा नहीं देते तो हो सकता है कि एक मामला भी टीवी डिबेट का मुद्दा बनकर रह जाता। अब विपक्ष इस मुद्दे को सदन में उठाएगा जिसपर सरकार को चर्चा के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
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2. संसदीय समिति के सामने पेश होना
बताया जा रहा है कि एक पखवाड़े पहले संसदीय समिति के सामने संसद में उर्जित पटेल उपस्थित थे। उस दौरान करीब दो दर्ज़न महत्वपूर्ण बिंदुओं पर अपना लिखित उत्तर सौंपा था। इसको लेकर वे संतुष्ट नहीं थे। क्योंकि ऐसा देखा गया है कि संसद की किसी भी समिति की इस तरह की कार्रवाई का कोई अधिकृत ब्यौरा नहीं दिया जाता। यह पूरी तरह गोपनीय होती है, लेकिन इस समिति के सामने उन्होंने नोटबंदी और उसके बाद देश के आर्थिक हालात के बारे में अपनी राय रखी थी। इनमें से अनेक सवालों के उत्तर में वे ख़ामोश भी रहे थे। इस समिति में 31 सदस्य हैं जिसके अध्यक्ष वीरप्पा मोइली हैं और पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह भी इस समिति के सदस्य हैं।
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3. आर्थिक नीतियों पर सरकार से अलग राय
आपको बता दें कि उर्जित पटेल ने आर्थिक नीतियों पर कई बेबाक फैसले लिए जो सरकार को पसंद नहीं आया। नौबत यहां तक आ गई कि आरबीआई की स्वायत्तता और उसके संवैधानिक अधिकारों पर भी देश के औद्योगिक जगत में बहस छिड़ गई थी।
4. सरकार आरबीआई का राजनीतिक उपयोग करना चाहती थी
यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि मोदी सरकार अगले लोगसभा चुनाव के मद्देनजर कुछ लोकलुभावन योजनाएं लाना चाहती थी, जिसके लिए आरबीआई से अधिक कर्ज की मांग कर रही थी। लेकिन एक अधिकारी होने के नाते उर्जित पटेल को लगा कि वे राजनीतिक लाभ के लिए आरबीआई को सरकार के हवाले नहीं कर सकते हैं। इसलिए उसने मना कर दिया। सरकार चाहती थी कि 1934 के रिजर्व बैंक एक्ट की धारा 7 का इस्तेमाल कर अधिक पैसा हासिल कर सके।