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आरबीआई का बड़ा फैसला, देश में नहीं आएगा इस्लामिक बैंक

Published: Nov 12, 2017 05:06:31 pm

Submitted by:

Mohit sharma

आरबीआई ने कहा कि सभी नागरिकों को बैंकिंग और अन्य वित्तीय सेवाओं की ‘विस्तृत और समान अवसर’ की सुलभता को ध्यान में रखकर लिया गया है।

RBI

नई दिल्ली। केन्द्रीय बैंक आरबीआई ने इस्लामिक बैंक को देश में न लाने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। केन्द्रीय बैंक की ओर से यह बड़ा कदम माना जा रहा है। एक आरटीआई के जवाब में आरबीआई ने कहा कि सभी नागरिकों को बैंकिंग और अन्य वित्तीय सेवाओं की ‘विस्तृत और समान अवसर’ की सुलभता को ध्यान में रखकर लिया गया है। जवाब में बताया गया कि इस्लामिक या शरिया बैंकिंग ऐसी वित्तीय व्यवस्था है जो ब्याज विरोधी सिद्धांत पर चलती है। बताया गया है कि भारत में इस्लामिक बैंक लाने के मुद्दे पर रिजर्व बैंक और सरकार ने मंथन किया है।

ये है इस्लामिक बैंकिंग?

दरअसल, एक आरटीआई के माध्यम से आरबीआई से देश में इस्लामिक या ‘ब्याज मुक्त’ बैंकिंग व्यवस्था कायम करने को लेकर उठाने जानेवाले कदमों की जानकारी मांगी गई थी। 2008 में केन्द्रीय बैंक के तत्कालीन गवर्नर रघुराम राजन के नेतृत्व में वित्तीय क्षेत्र में सुधारों को लेकर एक कमेटी का गठन किया गया था। इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में देश में ब्याज मुक्त बैंकिग प्रणाली के मुद्दे पर गंभीरता से विचार करने की बात पर बल दिया था। कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक कुछ धर्म ब्याज को गलत मानते हैं। वहीं बाद में केंद्र सरकार के निर्देश पर केन्द्रीय बैंक एक इंटर-डिपार्टमेंटल ग्रुप (आईडीजी) का गठन किया गया। आईडीजी ने देश में ब्याज मुक्त बैंकिंग प्रणाली की शुरुआत संबंधी कानूनी, तकनीकी और नियामकीय पहलुओं की जांच कर सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी। वित्त विभाग को सौंपी गई रिपोर्ट के आधार पर शरिया के अनुसार बैंकिंग सिस्टम शुरू करने के लिहाज से तत्काल परंपरागत बैंकों में ही एक इस्लामिक बैंक विंडो खोलने का सुझाव पेश किया था।

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