कुल जनसंख्या में हिंदूओं का अनुपात 0.7 प्रतिशत घटा है, मुस्लिमों का अनुपात 0.8 प्रतिशत बढ़ा है।
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने 2011 की धर्म के आधार पर जनगणना के आधार पर आंकड़े
मंगलवार को जारी कर दिए। आंकड़ों के मुताबिक अन्य धर्मो के मुकाबले मुसलमानो की
आबादी सीमांत रूप से बढ़ी है। आलोचकों ने आंकड़ों के जारी करने के समय पर सवाल खड़े
किए हैं क्योंकि साल के अंत में बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं और 243 सीटों
में से 50 सीटों पर हार-जीत का फैसला मुसलमानों के हाथों में है।
आधिकारिक
वक्तव्य के मुताबिक, 2001-2011 के बीच, देश की कुल आबादी में हिंदुओं का अनुपात 0.7
प्रतिशत घटा है, जबकि मुसलमानों का अनुपात 0.8 प्रतिशत बढ़ा है। वहीं सिखों और
बौद्धों का अनुपात भी क्रमश: 0.2 और 0.1 प्रतिशत घटा है। यह पहली बार हुआ है कि
हिंदुओं का अनुपात 80 प्रतिशत से नीचे आ गया है।
आंकड़ों के मुताबिक, देश की
121.09 करोड़ की आबादी में मुसलमानों का अनुपात 0.8 प्रतिशत बढ़ा है। वहीं, ईसाइयों
और जैन धर्म के अनुपात में कोई बढ़ा बदलाव नहीं हुआ है। इससे पहले, सरकार धर्म के
आधार आबादी के आंकड़े जारी करती थी। 2001 के जनगणना पर उठे विवाद के बाद 2011 में
सरकार ने इस प्रथा पर रोक लगा दी थी क्योंकि जम्मू-कश्मीर को इसमें शामिल किया गया
था जिसके आधार पर मुसलमानो की आबादी बढ़ी हुई दिखाई गई थी।
आंकड़ों में
विवाद था क्योंकि आतंकवाद से ग्रस्त इस राज्य को 1991 की जनगणना में शामिल नहीं
किया गया था। मंगलवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, हिंदुओं की कुल आबादी 96.63
करोड़ (79.8 प्रतिशत), मुसलमानों की 17.22 करोड़ (14.2 प्रतिशत), ईसाई 2.78 करोड़
(2.3 प्रतिशत), सिख 2.08 करोड़ (1.7 प्रतिशत), बौद्ध 0.84 करोड़ (0.7 प्रतिशत), जैन
समाज की 0.45 करोड़ (0.4 प्रतिशत) है।