विविध भारत

#karSalaam : इस गणतंत्र दिवस पर हमें फिर लेनी होगी शपथ..

इतने वर्ष बाद भी प्रस्तावना के एक-एक शब्द हमारे लोकतंत्र को राह दिखाते नजर आते हैं।

Jan 26, 2018 / 03:24 pm

dinesh mishra1

नई दिल्ली: हम भारत के लोग संविधान को अंगीकृत अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं… 26 जनवरी, 1950 को संविधान के लागू होने के साथ ही हमारा भारत गणतंत्र बना। खास बात यह है कि संविधान की प्रस्तावना ऐसी लिखी गई, जिसमें पूरे संविधान का दर्शन नजर आता है। इतने वर्ष बाद भी प्रस्तावना के एक-एक शब्द हमारे लोकतंत्र को राह दिखाते नजर आते हैं। इन्हीं पर दिनेश मिश्र की प्रस्तुति….
हम भारत के लोग
यह शब्द अमरीका के संविधान से लिया गया है जिसका अर्थ अंतिम सत्ता भारतीय जनता में निहित की गई है। इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि संविधान का निर्माण भारतीय जनता के द्वारा किया है। इस प्रकार भारत की जनता ही समस्त राजनीतिक सत्ता का स्रोत है। 1950 ई. में ‘गोपालन बनाम मद्रास राज्य केस में सुप्रीम कोर्ट ने इसी आशय का निर्णय दिया।
तब से लेकर अबतक
1947 में आजादी के बाद देश की कुल आबादी 33 करोड़ थी। पहले आम चुनाव के वक्त 17.3 करोड़ की आबादी को मत देने का हक था। देश की आबादी 125 करोड़ है। करीब 82 करोड़ आबादी को मताधिकार हासिल है। थर्ड जेंडर को भी मताधिकार का हक मिला।
लोकतंत्र में सुधार की जरूरत

दइकोनॉमिस्ट इंटेलीजेंस यूनिट की डेमोक्रेसी इंडेक्स के मुताबिक, 2017 में 165 देशों की सूची में भारत को 32वीं रैंक मिली है। 2016 में 35वीं रैंक मिली थी। अब भी सुधार की जरूरत है।
समाजवादी

भारत में लोकतांत्रिक समाजवाद है। यानी यहां उत्पादन व वितरण के साधनों पर निजी-सार्वजानिक दोनों क्षेत्रों का हक है। गांधीवादी समाजवाद की ओर अधिक झुका हुआ है, जिसका उद्देश्य अभाव, उपेक्षा और अवसरों की असमानता का अंत करना है। मिश्रित आर्थिक मॉडल को अपनाया है।
पंथनिरपेक्ष

संंविधान में धर्मनिरपेक्ष राज्य का अर्थ यह है कि राज्य की दृष्टि में सभी धर्म समान होंगे तथा राज्य के द्वारा विभिन्न धर्मावलंबियों में भेदभाव नहीं होगाा। 1976 में 42वें संविधान संशोधन द्वारा संविधान की प्रस्तावना में पंथनिरपेक्ष शब्द जोड़कर इस परिप्रेक्ष्य में स्थिति स्पष्ट कर दी गई है। संविधान के तहत धार्मिक स्वतंत्रा का अधिकार सभी को दिया गया है। सभी को उपासना, पूजा की स्वतंत्रता है। धार्मिक आजादी आज ज्यादा मजबूती से सभी को मिली हुई है।

लोकतंत्रात्मक गणराज्य
भारत एक स्वतंत्र देश है, किसी भी जगह से वोट देने की आजादी, संसद में अनुसूचित सामाजिक समूहों और अनुसूचित जनजातियों को विशिष्ट सीटें आरक्षित की गई है। स्थानीय निकाय चुनाव में महिला उम्मीदवारों के लिए एक तिहाई अनुपात में सीटें आरक्षित हैं। चुनाव आयोग स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के लिए जिम्मेदार है। राजशाही के उलट एक गणतांत्रिक राष्ट्र के प्रमुख यानी राष्ट्रपति अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित होते हैं।

सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक न्याय

प्रस्तावना नागरिकों को आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक न्याय प्राप्त कराने के उद्देश्य की घोषणा करती है। न्याय का सामान्य अर्थ होता है कि भेद-भाव की समाप्ति। मूल अधिकार और निदेशक तत्वों में इसका उल्लेख है। न्याय का लक्ष्य 1917 की रूसी क्रांति से प्रेरित है।
संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न

भारत किसी भी विदेशी और आंतरिक शक्ति के नियंत्रण से पूर्णत: मुक्त संप्रभुता संपन्न राष्ट्र है। यह सीधे जनता द्वारा चुने गए एक मुक्त सरकार द्वारा शासित है और यही सरकार कानून बनाकर लोगों पर शासन करती है। अंतिम शक्ति जनता में निहित है, किसी व्यक्ति विशेष में नहीं।
महिला आरक्षण विधेयक दूर की कौड़ी
द इकोनॉमिस्ट इंटेलीजेंस यूनिट की डेमोक्रेसी इंडेक्स के मुताबिक, 2017 में 165 देशों की सूची में भारत को 32वीं रैंक मिली है। चुनावों में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का विधेयक लंबित है।
आतंक से पार पाना बड़ी चुनौती

पाकिस्तान, चीन जैसे पड़ोसियोंं को साधना बड़ी चुनौती है। आतंकवाद, संरक्षणवाद और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियां हैं।

संविधान में कई बदलाव

संविधान में समय के साथ काफी अहम बदलाव हुए।
अनुच्छेद 444
अनुसूची 12
संशोधन 115

Hindi News / Miscellenous India / #karSalaam : इस गणतंत्र दिवस पर हमें फिर लेनी होगी शपथ..

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.