वेणुगोपाल ने दी दलील
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली तीन जजों की पीठ ने एटॉनी जनरल केके वेणुगोपाल के इस बारे में दाखिल हलफनामे से सहमति जताई और इस पर फिर से पुनर्विचार करने के लिए राजी हो गई। पीठ में जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण भी शामिल हैं। वेणुगोपाल ने कहा कि अनुच्छेद 145 (3) के तहत संवैधानिक प्रावधान की व्याख्या से जुड़े मामले पर कम से कम पांच जजों की संविधान पीठ ही सुनवाई कर सकती है।
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली तीन जजों की पीठ ने एटॉनी जनरल केके वेणुगोपाल के इस बारे में दाखिल हलफनामे से सहमति जताई और इस पर फिर से पुनर्विचार करने के लिए राजी हो गई। पीठ में जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण भी शामिल हैं। वेणुगोपाल ने कहा कि अनुच्छेद 145 (3) के तहत संवैधानिक प्रावधान की व्याख्या से जुड़े मामले पर कम से कम पांच जजों की संविधान पीठ ही सुनवाई कर सकती है।
राज्यों की क्या है दलील
कई राज्य सरकारों ने हाईकोर्ट के प्रमोशन में आरक्षण रद्द करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। उनकी दलील है कि जब राष्ट्रपति ने नोटिफिकेशन के जरिए एससी/एसटी के पिछड़ेपन को निर्धारित किया है, तो इसके बाद पिछड़ेपन को आगे निर्धारित नहीं किया जा सकता।
कई राज्य सरकारों ने हाईकोर्ट के प्रमोशन में आरक्षण रद्द करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। उनकी दलील है कि जब राष्ट्रपति ने नोटिफिकेशन के जरिए एससी/एसटी के पिछड़ेपन को निर्धारित किया है, तो इसके बाद पिछड़ेपन को आगे निर्धारित नहीं किया जा सकता।
नागराज फैसला क्या है
अब पांच जजों की पीठ पहले यह तय करेगी कि एम नागराज के फैसले पर पुनर्विचार की जरूरत है भी कि नहीं। क्योंकि 2006 में नागराज फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि बिना पर्याप्त आंकड़ों के एससी/एसटी को प्रमोशन में आरक्षण नहीं दिया जा सकता। इससे पहले 2005 में पांच न्यायाधीशों ने ईवी चेन्नैया मामले में आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा एससी एसटी वर्ग में किए गए वर्गीकरण को असंवैधानिक ठहरा दिया था। कोर्ट ने कहा था कि एससी/एसटी के मामले में राष्ट्रपति के आदेश से जारी सूची में कोई छेड़छाड़ नहीं हो सकती। उसमें सिर्फ संसद ही कानून बना कर बदलाव कर सकती है।
अब पांच जजों की पीठ पहले यह तय करेगी कि एम नागराज के फैसले पर पुनर्विचार की जरूरत है भी कि नहीं। क्योंकि 2006 में नागराज फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि बिना पर्याप्त आंकड़ों के एससी/एसटी को प्रमोशन में आरक्षण नहीं दिया जा सकता। इससे पहले 2005 में पांच न्यायाधीशों ने ईवी चेन्नैया मामले में आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा एससी एसटी वर्ग में किए गए वर्गीकरण को असंवैधानिक ठहरा दिया था। कोर्ट ने कहा था कि एससी/एसटी के मामले में राष्ट्रपति के आदेश से जारी सूची में कोई छेड़छाड़ नहीं हो सकती। उसमें सिर्फ संसद ही कानून बना कर बदलाव कर सकती है।
फिर प्रक्रिया पर उठे सवाल
हालांकि, सुनवाई के दौरान दो जजों की पीठ का मामला सीधा संविधान पीठ को भेजने पर भी सवाल उठे। शुरुआत में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने सीधे मामले को तीन जजों की बजाए पांच जजों की संविधान पीठ भेजने की प्रक्रिया पर सवाल भी उठाए। दरअसल मंगलवार को दो जजों की बेंच जस्टिस कुरियन जोसेफ और जस्टिस आर भानुमति की बेंच ने ऐसे ही मामले को पांज जजों की संविधान पीठ को भेजा था।
हालांकि, सुनवाई के दौरान दो जजों की पीठ का मामला सीधा संविधान पीठ को भेजने पर भी सवाल उठे। शुरुआत में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने सीधे मामले को तीन जजों की बजाए पांच जजों की संविधान पीठ भेजने की प्रक्रिया पर सवाल भी उठाए। दरअसल मंगलवार को दो जजों की बेंच जस्टिस कुरियन जोसेफ और जस्टिस आर भानुमति की बेंच ने ऐसे ही मामले को पांज जजों की संविधान पीठ को भेजा था।
दिसंबर के पहले हफ्ते में हो सकता है विचार
हालांकि, कानूनी मुद्दे पर विचार करते हुए बेंच ने कहा कि पांच जजों की संविधान पीठ देखेगी कि क्या नागराज फैसले पर फिर से विचार करने की जरूरत है या नहीं। ज्यादा संभावना है कि दिसंबर के पहले हफ्ते में इस मामले पर विचार हो सकता है। इसके बाद ही इससे बड़ी सात जजों की पीठ को भेजा जा सकता है।
हालांकि, कानूनी मुद्दे पर विचार करते हुए बेंच ने कहा कि पांच जजों की संविधान पीठ देखेगी कि क्या नागराज फैसले पर फिर से विचार करने की जरूरत है या नहीं। ज्यादा संभावना है कि दिसंबर के पहले हफ्ते में इस मामले पर विचार हो सकता है। इसके बाद ही इससे बड़ी सात जजों की पीठ को भेजा जा सकता है।
ओबीसी आरक्षण विधेयक में राजस्थान सरकार को झटका
सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार के ओबीसी आरक्षण की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि राज्य सरकार आरक्षण के 50 फीसदी कोटे की तय सीमा को पार नहीं करेगी। शीर्ष कोर्ट ने मामले में राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है। राजस्थान हाईकोर्ट अब इस मामले की मेरिट के आधार पर सुनवाई करेगा। गुर्जर आरक्षण आंदोलन के बाद राजस्थान सरकार की तरफ से लाए गए ओबीसी आरक्षण विधेयक 2017 पर राजस्थान हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी। ये विधेयक राजस्थान विधानसभा में 25 अक्टूबर को पास किया गया था। नए विधेयक में ओबीसी आरक्षण को 21 से 26 किया गया था जिससे राजस्थान में आरक्षण तय सीमा पार कर 54 फीसदी हो गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार के ओबीसी आरक्षण की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि राज्य सरकार आरक्षण के 50 फीसदी कोटे की तय सीमा को पार नहीं करेगी। शीर्ष कोर्ट ने मामले में राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है। राजस्थान हाईकोर्ट अब इस मामले की मेरिट के आधार पर सुनवाई करेगा। गुर्जर आरक्षण आंदोलन के बाद राजस्थान सरकार की तरफ से लाए गए ओबीसी आरक्षण विधेयक 2017 पर राजस्थान हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी। ये विधेयक राजस्थान विधानसभा में 25 अक्टूबर को पास किया गया था। नए विधेयक में ओबीसी आरक्षण को 21 से 26 किया गया था जिससे राजस्थान में आरक्षण तय सीमा पार कर 54 फीसदी हो गई थी।