बड़ी खबरः चंद्रयान-2 की विफलता के बाद अब ISRO का नया प्लान.. इस देश से ली जाएगी.. फिर रचेगा इतिहास डीएफआरएल ने बताया कि इसने गगनयान मिशन के लिए अंतरिक्ष जाने वाले भारतीय यात्रियों के लिए विशेष देसी खाना तैयार कर लिया है। मिशन के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों के खाने के लिए भोजन यहीं से भेजा जाएगा।
डीएफआरएल के निदेशक डॉ. अनिल दल सेमवाल ने बताया कि गगनयान मिशन के लिए अंतरिक्ष जाने वाले भारतीय यात्रियों के लिए विशेष देसी खाना तैयार कर लिया गया है। मिशन के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों के खाने के लिए भोजन यहीं से भेजा जाएगा। इसे इसरो के पास जांच के लिए भेज दिया गया है।
स्पेशल पैकेजिंग उन्होंने आगे कहा कि यह सभी खाना एक स्पेशल डिस्पोजेबल पैकेजिंग मैटेरियल में पैक होंगे, ताकि भोजन दूषित न हो सके। हर खाने की डिश हल्की मसालेदार होगी और अंतरिक्ष यात्रियों को अलग से टेस्ट मेकर्स दिए जाएंगे, ताकि वे अपने स्वाद के हिसाब से अलग मसाला मिला सकें।
नट्स भी स्नैक्स में अंतरिक्ष यात्रियों को पैकेज्ड फूड के अलावा न्यूट्रिशन बार, बादाम, गिरी आदि भी दिए जाएंगे, ताकि वे बीच में ब्रेक मिलने पर इन्हें स्नैक्स के तौर पर खा सकें।
बड़ी खबरः इस देश ने एक साथ दाग दिए इतने सारे रॉकेट्स… हर तरफ मची खलबली… हो गया पूरा खुलासा.. सावधानी से चुने गए व्यंजन वहीं, गगनयान में भेजे जाने वाले खाने के सामान बेहद सावधानी से चुने गए हैं ताकि यान के भीतर किसी तरह की परेशानी ना हो। जैसे ब्रेड को ना भेजने का कारण है कि यह बिखर जाती है और इसके टुकड़े वहां फैल सकते हैं।
दो दर्जन से ज्यादा व्यंजन अंतरिक्ष यात्रियों के लिए तैयार भोजन में एग रोल, वेज रोल, इडली, मूंग दाल का हलवा और वेज पुलाव समेत दो दर्जन से ज्यादा भारतीय व्यंजनों को शामिल किया गया है। इसके साथ ही यात्रियों को खाना गर्म करने के लिए हीटर भी दिए जाएंगे। यह सभी भोजन पैक्ड हैं और जब अंतरिक्ष यात्री को भूख लगे, वह इन्हें खोलकर गर्म करके खा लेगा।
स्पेशल ड्रिंकिंग कंटेनर इतना ही नहीं डीएफआरएल ने अंतरिक्ष यात्रियों के लिए विशेष कंटेनर भी बनाए हैं, जिसे वह पानी और जूस पीने के लिए इस्तेमाल कर सकेंगे। चूंकि अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण शून्य होता है, इसलिए वहां पर कुछ भी पीना-खाना आसान नहीं होता, इसके लिए डीएफआरएल ने विशेष कंटेनर तैयार किए हैं।
रूस कर रहा है मदद बता दें कि इंसानों को ले जाने वाले (ISRO) भारत के पहले गगनयान मिशन (Gaganyan latest news) के लिए रूस मदद को तैयार हो गया है। रूस ना केवल भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को गगनयान अभियान के लिए प्रशिक्षित करेगा, बल्कि वो भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को लाइफ सपोर्ट सिस्टम और स्पेसक्राफ्ट को गर्म रखने वाला सिस्टम भी मुहैया कराएगा। दिसंबर 2021 में लॉन्च किए जाने वाले इस गगनयान मिशन की लागत तकरीबन 10 हजार करोड़ रुपये आएगी।
क्या है लाइफ सपोर्ट सिस्टम यह कई डिवाइसों को मिलाकर बनाया जाने वाला एक ऐसा सिस्टम है जो किसी व्यक्ति को अंतरिक्ष में जिंदा रखने के लिए जरूरी है। यह सिस्टम अंतरिक्ष यात्री को पानी, हवा और भोजन प्रदान करता है। शरीर का उचित तापमान बनाए रखता है और ह्युमन वेस्ट प्रोडक्ट्स से निपटता है।
थर्मल कंट्रोल सिस्टम किसी भी अंतरिक्षयान के तापमान नियंत्रण के बेहद जरूरी। यह पूरे अभियान के दौरान स्पेसक्राफ्ट के भीतर हर उपकरण के लिए जरूरी तापमान मुहैया कराने वाला सिस्टम होता है। इसकी अहमियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अगर किसी उपकरण को निर्धारित तापमान नहीं दिया गया तो जरूरत से ज्यादा या कम तापमान में वो सिस्टम ही बेकार हो सकता है और अभियान पर गंभीर असर पड़ सकता है।
कैबिनेट ने 10 हजार करोड़ रुपए किए मंजूर भारत के पहले अंतरिक्ष मानव मिशन ‘गगनयान’ को 28 दिसंबर 2018 केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी मिली थी। इसरो (ISRO) के इस महत्वकांक्षी अभियान पर 10 हजार करोड़ रुपए की लागत का अनुमान है। इसके अलावा इसरो ने इस अभियान के लिए भारतीय वायुसेना (आईएएफ) के चार पायलटों का भी चयन कर लिया है और उनका प्रशिक्षण शुरू कर दिया गया है।
मिशन चंद्रयान 3 अब करेगा कमाल, क्योंकि इसरो ने किया ऐसा काम कि अब तो यह मिशन फेल नहीं बल्कि करेगा… लाल किले से पीएम मोदी ने किया था ऐलान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 अगस्त 2018 को लाल किले से घोषणा की थी कि वर्ष 2022 तक इसरो देश के पहले मानव मिशन को अंजाम देगा। पीएम ने अपने संबोधन में कहा था कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में हमारा और हमारे वैज्ञानिकों का एक सपना है और मुझे यह घोषणा करने में प्रसन्नता हो रही है कि वर्ष 2022 तक 75वें स्वतंत्रता साल पर हम अंतरिक्ष में एक मानव मिशन भेजने की योजना बना रहे हैं। पीएम ने कहा कि हम वर्ष 2022 या उससे पहले अंतरिक्ष में भारतीय को पहुंचाएंगे। इसरो इस परियोजना पर वर्ष 2004 से ही काम कर रहा है।