नमामी गंगे नाम की परियोजना मोदी सरकार ने चलाई थी
आपको बता दें कि लोकसभा 2014 के चुनाव के दौरान पीएम पद के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के वाराणसी से सांसद प्रत्याशी के तौर पर प्रचार करने आए थे और उस दौरान उन्होंने गंगा को नमन करते हुए कहा था कि न मैं यहां खुद आया हूं, न किसी ने मुझे लाया है, मुझे तो गंगा मां ने बुलाया है। हालांकि एनडीए की सरकार बनने के बाद प्रधानमंत्री बने नरेंद्र मोदी ने प्रदूषित गंगा को निर्मल बनाने के लिए पहली बार एक अलग मंत्रालय बना दी। इसकी जिम्मेदारी केंद्रीय मंत्री उमा भारती को सौंपी गई। इसके अलावा गंगा की सफाई के लिए ‘नमामी गंगे’ नाम की एक परियोजना भी चलाई जा रही है। लेकिन इन सबके बावजूद मोदी सरकार के चार वर्ष पूरे हो चुके हैं और अब सरकार की ओर से कहा जा रहा है कि उन्हें नहीं मालूम कि गंगा अब तक कितनी स्वच्छ हुई है। बता दें कि मौजूदा समय में नीतिन गड़करी गंगा मंत्रालय को देख रहे हैं।
पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र का हाल, गंगा किनारे ही पेयजल के लिए हाहाकार
बीते चार वर्ष में हुए 38 सौ करोड़ रुपए खर्च
आपको बता दें कि आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक मोदी सरकार अब तक 38 सौ करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है। अब इतने रुपए खर्च करने के बाद सवाल उठना लाजमी है कि आखिर गंगा की सफाई कहां तक हुई है? मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि आरटीआई याचिकाकर्ता एवं पर्यावरणविद् विक्रम तोगड़ ने आरटीआई के तहत सरकार से गंगा सफाई को लेकर ब्योरा मांगा था कि अब तक गंगा की कितनी सफाई हुई है, जिसपर सरकार कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं करा पाई और कहा कि उन्हें नहीं पता कि अबतक गंगा कितनी साफ हुई है। हालांकि सरकार हमेशा से कहती रही है कि 2020 तक 80 प्रतिशत गंगा की सफाई कर लिया जाएगा। लेकिन अब आने वाले आगामी आम चुनाव में जनता मोदी सरकार से गंगा सफाई को लेकर सवाल तो जरुर पूछेगी क्योंकि मोदी सरकार ने कहा था पांच वर्ष में गंगा को निर्मल बना देंगे।