रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पार्किंसंस (Parkinsons) बीमारी की चपेट में आ गए हैं। इस बीमारी के बारे में शायद आप पहली बार सुन रहे हों। डॉक्टर इस बीमारी को एक मानसिक समस्या मानते हैं। इससे पीड़ित इंसान के नर्वस सिस्टम में यह फैलता है जो एक तरह का डिसऑर्डर है, जिसे न्यूरोडीजेनेरेटिव डिसऑर्डर कहते हैं। वैसे इस बीमारी के बारे में पता लगाना काफी मुश्किल होता है, इसकी वजह है इसका दिमाग में धीरे-धीरे विकसित होना। लेकिन बीमारी की गंभीरता में यह जानलेवा बन जाती है।
जानकार बताते हैं हर साल दुनियाभर में 10 मिलियन से ज्यादा लोग पार्किंसंस की चपेट में आते हैं, और उनमें से करीब एक लाख लोगों की इस बीमारी की वजह से जान चली जाती है। इस बीमारी से पीड़ित पूरी तरह ठीक नहीं हो सकता है, पर दवाओं से इस बीमारी में आंशिक सुधार हो सकता है। इसके अलावा व्यायाम के जरिए मरीज संतुलित जीवन जी सकता है।
पार्किंसन के लक्षण
इस बीमारी के कई तरह के लक्षण हो सकते हैं:
संतुलन में परेशानी, कंपन, इंसान की गति धीमी हो जाना
निर्णय लेने में परेशानी- अगले पर क्या करना है यह सोते रहना। हंसने-बोलने में परेशानी
कैसे हो इलाज?
एक्सपर्ट इस बीमारी को पांच चरणों में विभाजित करते हैं। शुरुआती दौर में इस बीमारी के लक्षण समझ नहीं आते हैं। शरीर कंपना, दूसरे चरण में पहुंचने पर होता है। तीसरे चरण में कई दूसरे लक्षण भी दिखने लगते हैं और चौथे चरण में पीड़ित को खड़े होने और चलने में भी कठिनाई होने लगती है, पांचवें और चरण में इंसान मानसिक रूप से पूरी तरह से निष्प्रभावित होने लगता है और पीड़ित छोटी-छोटी बातें भूलने तगता है। यदि दूसरे चरण के लक्षण नज़र आते ही डॉक्टर से संपर्क किया जाए तो कुछ हद तक इसे रोका जा सकता है। ज्यादातर डॉक्टर इस बीमारी से पीड़ितों को जीवन-शैली बदलने के साथ दवा और व्यायाम करने की सलाह देते हैं और डीप ब्रेन स्टिमुलेशन की प्रक्रिया भी अपनाते हैं।