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मिसाल: सास ने बहू को किडनी देकर मौत के मुंह से निकाला

Published: Aug 13, 2018 02:45:27 pm

Submitted by:

Mohit Saxena

37 वर्षीय आशा भूत्रा पिछले काफी समय से बीमार चल रहीं थीं, उनकी दोनों किडनी सिकुड़ गईं थी।

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मिसाल: सास ने बहू को किडनी देकर मौत के मुंह से निकाला

सूरत। गुजरात के सूरत में सास ने बहू को अपनी किडनी देकर एक अनूठी मिसाल पेश की है। 37 वर्षीय आशा भूत्रा पिछले काफी समय से बीमार चल रहीं थीं। इस दौरान उन्हें कई सारी समस्याएं होने लगी। जब उन्होंने डॉक्टर से जांच कराई तो पता चला कि उनकी दाईं किडनी सिकुड़ रही है। धीरे-धीरे उनकी बाईं किडनी भी प्रभावित होने लगी थी। मौत और जीवन के बीच में झूल रही आशा के पास अब एक आखिरी रास्ता बचा था कि वह किडनी ट्रांसप्लांट कराएं।
कपड़ों के व्यवसाय से जुड़ा था परिवार

आशा का परिवार सूरत में कपड़ों के व्यवसाय से जुड़ा है। आशा का इलाज कर रहे डॉ.मनोज गुंबर के अनुसार उनके पति,ससुर और मां किडनी दे सकती थीं। पति और ससुर को शुगर की बीमारी थी और मां की उम्र 69 साल की थी। डॉ.मनोज ने कहा कि आशा की डायलिसिस करना एक ऑप्शन था लेकिन यह उनकी बीमारी का स्थाई इलाज नहीं था। उनके लिए परफेक्ट डोनर की तलाश थी। यह तलाश आशा की सास शांति देवी (65) पर आकर खत्म हुई। एक सास का अपनी बहू को किडनी देना बहुत ही कम देखने को मिलता है।
शांति देवी के मन में कोई शंका नहीं थी

डॉक्टर ने बताया कि भूत्रा परिवार के लिए यह बहुत लंबी प्रक्रिया थी। शांति देवी राजस्थान में रहती थीं। उनका पंजीकरण कराया गया। इस प्रॉसेस में तीन माह का समय लगा। अहमदाबाद के अस्पताल में बीते जून में आशा की सर्जरी की गई। अब आशा स्वस्थ हैं। शांति देवी ने कहा कि उनके दिमाग में कोई शंका नहीं थी। उन्हें अपनी बेटी को किडनी डोनेट करनी थी और उसे नई जिंदगी देना था। आखिरकार वह भी एक मां है। उन्होंने कि वह कैसे उसकी मदद से पीछे कैसे हट सकती थीं। डॉक्टर का कहना है कि परिवार में समझदारी के कारण यह सब संभव हो पाया। उन्होंने बताया कि कितने ही ऐसे परिवार सामने आते हैं जहां पर कोई डोनर नहीं मिल पाता है। इसके कारण मरीज को डायलिसिस पर रखना पड़ता है और कई मौकों पर उसकी मौत हो जाती है।
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