मंदिर के आसपास के दुकानदारों की नहीं हो रही कमाई
‘अप्पम’ (केक के स्थानीय प्रकार) और ‘अरावन’ (पायासेम) के ब्रिकी में भी कमी आई है, जिसके बाद अधिकारियों को इसके उत्पादन को धीमा करना पड़ा है। आसपास मिठाई और फूल के दुकान लगाने वालों का कहना है कि जितनी कमाई पिछले साल एक दिन में हो गई थी, उतनी पिछले तीन दिन में भी नहीं हो पाई है। कड़ी सुरक्षा और राजनीतिक विरोध प्रदर्शनों की वजह से मंदिर के दो माह के तीर्थ सत्र के लिए खुलने के बाद भी दूर दराज से आने वाले दुकानदार इस साल नहीं आए हैं।
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भक्तों की कमी से कहीं खुशी-कहीं गम
पिछले साल इसी सत्र के दौरान, मंदिर के गर्भगृह की ओर जाने वाला फ्लाइओवर श्रद्धालुओं से भरा रहता था। इस सप्ताह अधिकतर समय यह खाली रहा। एक श्रद्धालु ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि मैं यहां पिछले 18 वर्षो से आ रहा हूं। इस बार मैं अपने दोनों हाथों से 18 पवित्र सीढ़ियों को छूते हुए चढ़ सका, जो मैं इतने सालों तक भारी भीड़ की वजह से नहीं कर सका था।
कोर्ट के आदेश के बाद मंदिर तक नहीं पहुंच सकीं महिलाएं
बता दें कि 28 सितंबर, 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने 10-50 वर्ष की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की इजाजत दी थी, जिसके खिलाफ हिंदू समूहों ने प्रदर्शन किए। इसके मद्देनजर पुलिस ने तीर्थाटन के नियम कड़े कर दिए गए, जिसे तीर्थयात्रियों की संख्या में कमी होने का कारण माना जा रहा है। कोर्ट ने 13 नवंबर को सितंबर में दिए अपने आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। राज्य में माकपा की अगुवाई वाली वाम मोर्चे की सरकार शीर्ष अदालत के इस निर्णय को लागू करवाने की कोशिश कर रही है, लेकिन कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी और कई हिंदू संगठन इस फैसले का विरोध कर रहे हैं।