पानीपत। पानीपत के बहुचर्चित समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट मामले में बुधवार को पंचकूला की विशेष अदालत में एनआईए को बड़ा झटका लगा। इस मामले की सुनवाई में आज फिर गवाह अपने पहले के दिए बयानों से मुकर गए,जिनके नाम अलोक और चरण सिंह है। दरअसल यह एक आतंकवादी घटना थी,जिसमें 18 फरवरी, 2007 को भारत और पाकिस्तान के बीच चलने वाली ट्रेन समझौता एक्सप्रेस में विस्फोट हुए थे।
68 व्यक्तियों की मौत हो गई थी
जब यह ट्रेन दिल्ली से अटारी,पाकिस्तान जा रही थी तो हरियाणा के पानीपत जिले में चांदनी बाग थाने के अंतर्गत दीवाना स्टेशन के नजदीक ट्रेन में हुए विस्फोट के बाद 68 व्यक्तियों की मौत हो गई थी और 13 अन्य घायल हो गए थे। मारे गए ज्यादातर लोग पाकिस्तानी नागरिक थे।
इस मामले में पहले हरियाणा और जीआरपी ने जांच की थी, लेकिन कुछ खास कामयाबी हासिल न होने के कारण 2011 में जांच एनआईए को सौंप दी गई। इसके बाद एनआईए ने स्वामी असीमानंद और अन्य तीन आरोपियों को अरेस्ट किया था। मामले के एक अन्य आरोपी सुनील जोशी की पहले ही मौत हो चुकी है।
अब तक 19 गवाह बयान से पलटे
बहुचर्चित समझौता ब्लास्ट मामले में एनआईए ने पहली गिरफ्तारी 17 जून 2010 को की थी। आखिरी गिरफ्तारी 15 दिसंबर 2012 को हुई, जिसके बाद अब केस में गवाहों के बयान दर्ज हो रहे हैं। एनआईए की ओर से आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में पेश किए गए अहम 19 गवाह कोर्ट में अपने ब्यानों से मुकर चुके हैं।
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