पक्ष-विपक्ष के समीकरण बदल गए। पार्टियों का दशकों पुराना रवैया बदल गया। सरकार के लिए राज्य सभा का तिलस्म टूट गया। दलों से सांसद टूट गए। एक सूबे का नक्शा बदल गया तो उपभोक्ताओं का नसीब भी बदलेगा। कुछ पुराने सांसद अपनी ही बातों से पिट गए तो कुछ ने उम्मीद जगा दी।
इसे व्यापक नजरिए और सभी आयाम के साथ देखने और आप तक पहुंचाने की अभिनव पहल ले कर ‘पत्रिका’ आपके सामने आ रहा है ताकि आप समझ सकें कितने काम का रहा संसद का यह सत्र और क्या होंगे इसके आने वाले दिनों में परिणाम। साथ ही आपको मिलवाएंगे पहली बार संसद पहुंचने वाले युवा सदस्यों और बेहतर प्रदर्शन करने वाले सांसदों से।
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