सबसे अधिक पीड़ा सपना को अपना नाम मंत्रियों और अफसरों के साथ जोड़ने से हुई, इस बात का जिक्र उन्होंने अपने सुसाइड नोट में किया है
चंडीगढ़। हरियाणवी रागिनी गायिका व डांसर सपना चौधरी व्यवस्था से लड़ते-लड़ते टूट चुकी थी। अपने विरुद्ध गुड़गांव थाने में एससी-एसटी एक्ट में दर्ज मुकदमे की पैरवी के लिए सपना ने अपनी मां के साथ थाना प्रभारी से लेकर एसीपी और मंत्रियों तक से मदद की गुहार लगाई, लेकिन किसी ने उनकी सुनवाई नहीं की।
सबसे अधिक पीड़ा सपना को अपना नाम मंत्रियों और अफसरों के साथ जोड़ने से हुई। यह खुलासा उसने जहर निगलने से पूर्व लिखे गए छह पेज के सुसाइड नोट में किया है। दिल्ली के नजफगढ़ इलाके में रहने वाली सपना चौधरी की तबीयत में सुधार हो रहा है। उसे आत्महत्या के लिए मजबूर करने के आरोपी खांडसा निवासी सत्यपाल तंवर के खिलाफ गुड़गांव थाने में मुकदमा भी दर्ज हो चुका है।
गुड़गांव के चक्करपुर में एक रागिनी गाने पर सत्यपाल तंवर ने उसके खिलाफ एससी-एसटी एक्ट में मुकदमा दर्ज कराया था। सपना ने उस रागनी को लेकर सोशल मीडिया व अखबारों के जरिए माफी भी मांग ली थी, लेकिन उसके बाद भी उसके चरित्र पर लांछन लगाए गए।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल को डाक के जरिए भेजे सुसाइड नोट में सपना ने खुलासा किया कि उसका नाम मंत्रियों और अधिकारियों के साथ जोड़ा गया। न्याय के लिए वह कभी एसएचओ के पास तो कभी मंत्री और एसीपी के पास गई, लेकिन किसी ने उसकी मदद नहीं की। सपना ने सवाल दागा कि क्या कोई लड़की किसी मुकाम पर पहुंचने के बाद खुद अपनी बदनामी करेगी। आखिर में सपना ने हरियाणा सरकार से कहा कि मेरी मां बहुत कमजोर हो गई है। अब और मत दौड़ाओ।