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लोकसभा में सरोगेसी (नियामक) विधेयक 2016 ध्वनिमत से पास

लोकसभा में बुधवार को सरोगेसी (नियामक) विधेयक, 2016 ध्वनिमत से पारित हो गया।

Dec 19, 2018 / 07:45 pm

Anil Kumar

लोकसभा में सरोगेसी (नियामक) विधेयक 2016 ध्वनिमत से पारित

नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र में बुधवार को कई अहम मामलों पर चर्चा हुई और कई महत्वपूर्ण विधेयक पारित किए गए। इसी कड़ी में लोकसभा में बुधवार को सरोगेसी (नियामक) विधेयक, 2016 ध्वनिमत से पारित हो गया। बता दें कि यह नियम सरोगेसी के प्रभावी नियमन को सुनिश्चित करता है और व्यवसायिक सरोगेसी को प्रतिबंधित करता है। सरोगेसी (किराए की कोख) विधेयक सिर्फ गर्भधारण में अक्षम व माता-पिता बनने में अक्षम को ही सरोगेसी तकनीक का इस्तेमाल करने की इजाजत देता है।
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इंच्छुक दंपति प्रमाणपत्र लेना जरूरी

सरोगेट मां और संतान पाने के इच्छुक दंपति को उचित अथॉरिटी से योग्यता प्रमाणपत्र लेने की जरूरत होगी। सरोगेट मां के लिए दंपति का करीबी रिश्तेदार होना जरूरी है। इस विधेयक में एक राष्ट्रीय सरोगेसी बोर्ड, राज्य सरोगेसी बोर्ड के गठन और सरोगेसी की प्रक्रिया व प्रक्रिया के नियमन के लिए उचित अधिकारियों की नियुक्ति का नियम भी शामिल है। बता दें कि यह विधेयक व्यावसायिक सरोगेसी और इससे जुड़े अनैतिक कार्यों पर रोक लगाएगा। विधेयक में राष्ट्रीय एवं राज्य सरोगेसी बोर्ड गठित करने की बात कही गई है। इसके अलावा सरोगेसी के नियमन के लिए अधिकारियों के नियुक्ति की जाएगी

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क्या है सरोगेसी

आपको बता दें कि यदि इसे आसान भाषा में कहा जाए तो सरोगेसी का मतलब है किसी और की कोख से अपने बच्चे को जन्म देना। यदि कोई पति-पत्नी बच्चे को जन्म नहीं दे पा रहे हैं, तो किसी अन्य महिला की कोख को किराए पर लेकर उसके जरिए बच्चे को जन्म देना सरोगेसी कही जाती है। जिस महिला की कोख को किराए पर लिया जाता है, उसे सरोगेट मदर कहा जाता है।

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