1. आधार
आधार की अनिवार्यता पर विवाद होने के बाद यह मसला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। फिलहाल फैसला आने तक सामाजिक कल्याणकारी योजनाओं के अलावा केंद्र और राज्य सरकारों की बाकि सभी योजनाओं में आधार की अनिवार्यता पर रोक है। इनमें मोबाइल सिम और बैंक खाते भी शामिल हैं। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि जब तक मामले में कोई फैसला नहीं आ जाता तब तक आधार लिंक करने का ऑप्शन खुला रहना चाहिए। इसके अलावा सख्त रुख्त अपनाते हुए कोर्ट ने निर्देश दिया था कि सरकार आधार को अनिवार्य करने के लिए लोगों पर दबाव नहीं बना सकती है। पांच जजों की संविधान पीठ ने आधार की अनिवार्यता के मामले में सभी पक्षों की सुनवाई पूरी कर 10 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था। मामले की सुनवाई 17 जनवरी को शुरू हुई थी जो 38 दिनों तक चली।
आधार की अनिवार्यता पर विवाद होने के बाद यह मसला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। फिलहाल फैसला आने तक सामाजिक कल्याणकारी योजनाओं के अलावा केंद्र और राज्य सरकारों की बाकि सभी योजनाओं में आधार की अनिवार्यता पर रोक है। इनमें मोबाइल सिम और बैंक खाते भी शामिल हैं। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि जब तक मामले में कोई फैसला नहीं आ जाता तब तक आधार लिंक करने का ऑप्शन खुला रहना चाहिए। इसके अलावा सख्त रुख्त अपनाते हुए कोर्ट ने निर्देश दिया था कि सरकार आधार को अनिवार्य करने के लिए लोगों पर दबाव नहीं बना सकती है। पांच जजों की संविधान पीठ ने आधार की अनिवार्यता के मामले में सभी पक्षों की सुनवाई पूरी कर 10 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था। मामले की सुनवाई 17 जनवरी को शुरू हुई थी जो 38 दिनों तक चली।
2. पदोन्नति में आरक्षण
बुधवार को आने वाले बड़े फैसलों में सरकारी नौकरी में पदोन्नति में आरक्षण मामले में कोर्ट के पांच जजों का संविधान पीठ फैसला सुनाएगा। संविधान पीठ को यह तय करना है कि सुप्रीम कोर्ट के ही पांच जजों के संविधान पीठ के 12 साल पुराने नागराज फैसले पर फिर से विचार करने की जरूरत है या नहीं। फैसला अगर सकारात्मक रहा तो इस पर सात जजों का पीठ विचार करेगा। सरकारी नौकरियों में पदोन्नति में आरक्षण मामले में सुप्रीम कोर्ट की सविधान पीठ ने 30 अगस्त को सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा था।
बुधवार को आने वाले बड़े फैसलों में सरकारी नौकरी में पदोन्नति में आरक्षण मामले में कोर्ट के पांच जजों का संविधान पीठ फैसला सुनाएगा। संविधान पीठ को यह तय करना है कि सुप्रीम कोर्ट के ही पांच जजों के संविधान पीठ के 12 साल पुराने नागराज फैसले पर फिर से विचार करने की जरूरत है या नहीं। फैसला अगर सकारात्मक रहा तो इस पर सात जजों का पीठ विचार करेगा। सरकारी नौकरियों में पदोन्नति में आरक्षण मामले में सुप्रीम कोर्ट की सविधान पीठ ने 30 अगस्त को सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा था।
3. अहमद पटेल मामला
गुजरात से राज्यसभा सासंद अहमद पटेल की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज फैसला सुनाएगा। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने गुजरात हाईकोर्ट में उनके खिलाफ चल रही भाजपा उम्मीदवार बलवंत सिंह राजपूत की चुनाव याचिका की सुनवाई पर रोक लगाई थी। राजपूत ने हाईकोर्ट में दायर अपनी याचिका में कहा है कि पटेल ने गलत तरीके से चुनाव जीता। उन्होंने विधायकों को बेंगलुरु के होटल में बंद कर के रखा था।
गुजरात से राज्यसभा सासंद अहमद पटेल की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज फैसला सुनाएगा। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने गुजरात हाईकोर्ट में उनके खिलाफ चल रही भाजपा उम्मीदवार बलवंत सिंह राजपूत की चुनाव याचिका की सुनवाई पर रोक लगाई थी। राजपूत ने हाईकोर्ट में दायर अपनी याचिका में कहा है कि पटेल ने गलत तरीके से चुनाव जीता। उन्होंने विधायकों को बेंगलुरु के होटल में बंद कर के रखा था।
4. अदालती कार्रवाई की लाइव स्ट्रीमिंग
यह मसला राष्ट्रीय महत्व के विषय से जुड़ा है। इन मामलों में अदालत की कार्रवाई की लाइव स्ट्रीमिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट आज फैसला सुनाएगा। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि अदालती कार्रवाई की लाइव स्ट्रीमिंग से पारदर्शिता बढ़ेगी और ये ओपन कोर्ट का सही सिद्घांत भी होगा। सुनवाई के दौरान जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ने कहा था कि हम खुली अदालत को लागू कर रहे हैं। ये तकनीक के दिन हैं। हमें सकारात्मक सोचना चाहिए और देखना चाहिए कि दुनिया कहां जा रही है। कोर्ट में जो सुनवाई होती है वेबसाइट उसे कुछ देर बाद ही बताती हैं। इसमें कोर्ट की टिप्पणी भी होती है। साफ है कि तकनीक उपलब्ध है और हमें इसका इस्तेमाल करना चाहिए। इस मामले में केंद्र सरकार की ओर से एजी केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट नें गाइडलाइन दाखिल की हैं।
यह मसला राष्ट्रीय महत्व के विषय से जुड़ा है। इन मामलों में अदालत की कार्रवाई की लाइव स्ट्रीमिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट आज फैसला सुनाएगा। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि अदालती कार्रवाई की लाइव स्ट्रीमिंग से पारदर्शिता बढ़ेगी और ये ओपन कोर्ट का सही सिद्घांत भी होगा। सुनवाई के दौरान जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ने कहा था कि हम खुली अदालत को लागू कर रहे हैं। ये तकनीक के दिन हैं। हमें सकारात्मक सोचना चाहिए और देखना चाहिए कि दुनिया कहां जा रही है। कोर्ट में जो सुनवाई होती है वेबसाइट उसे कुछ देर बाद ही बताती हैं। इसमें कोर्ट की टिप्पणी भी होती है। साफ है कि तकनीक उपलब्ध है और हमें इसका इस्तेमाल करना चाहिए। इस मामले में केंद्र सरकार की ओर से एजी केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट नें गाइडलाइन दाखिल की हैं।
5. जज लोया
सुप्रीम कोर्ट जज लोया केस में दाखिल पुनर्विचार याचिका पर भी बुधवार को फैसला सुना सकता है। इसमें वकील इंदिरा जयसिंह ने सुप्रीम कोर्ट की तीखी टिप्पणियों को हटाने की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगा कि इन टिप्पणियों को 19 अप्रैल के फैसले से हटाना सही रहेगा या नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने जज लोया की मौत के मामले में पुनर्विचार याचिका पर 9 जुलाई को फैसला सुरक्षित रखा था।
सुप्रीम कोर्ट जज लोया केस में दाखिल पुनर्विचार याचिका पर भी बुधवार को फैसला सुना सकता है। इसमें वकील इंदिरा जयसिंह ने सुप्रीम कोर्ट की तीखी टिप्पणियों को हटाने की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगा कि इन टिप्पणियों को 19 अप्रैल के फैसले से हटाना सही रहेगा या नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने जज लोया की मौत के मामले में पुनर्विचार याचिका पर 9 जुलाई को फैसला सुरक्षित रखा था।
6. आपराधिक केस
इस मामले में शीर्ष अदालत को आज यह तय करना है कि आपराधिक केस में किसी सांसद या विधायक के अदालत से दोषी ठहराए जाने पर उसकी कुर्सी तुरंत छीनने के लिए आदेश चुनाव आयोग जारी करे या फिर संबंधित सदन का सचिव जारी करे। फिलहाल यह आदेश सदन का सचिव जारी करता है। इस मामले को लेकर दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि सदन का सचिव जानबूझकर यह आदेश काफी देरी से जारी करता है ताकि दोषी नेता की सदन में कुर्सी बनी रहे। इसलिए यह अधिकार चुनाव आयोग को दिया जाए ताकि इस पर वह तुरंत आदेश जारी करे।
इस मामले में शीर्ष अदालत को आज यह तय करना है कि आपराधिक केस में किसी सांसद या विधायक के अदालत से दोषी ठहराए जाने पर उसकी कुर्सी तुरंत छीनने के लिए आदेश चुनाव आयोग जारी करे या फिर संबंधित सदन का सचिव जारी करे। फिलहाल यह आदेश सदन का सचिव जारी करता है। इस मामले को लेकर दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि सदन का सचिव जानबूझकर यह आदेश काफी देरी से जारी करता है ताकि दोषी नेता की सदन में कुर्सी बनी रहे। इसलिए यह अधिकार चुनाव आयोग को दिया जाए ताकि इस पर वह तुरंत आदेश जारी करे।