गुरुवार को चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए.एम. खानविलकर और डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने रेलवे को इस संबंध में एम्स के डॉक्टरों से भी सलाह लेने को कहा है ताकि चलती ट्रेन में यात्रियों को इलाज मुहैया कराया जा सके। आपको बता दें कि अभी तक ट्रेन में किसी मरीज की तबियत खराब होने के दौरान इमरजेंसी के लिए किसी तरह की कोई सुविधा नहीं होती है।
इस मामले में रेलवे को आदेश देते हुए सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा है कि रेलवे को ट्रेनों में ऑक्सिजन सिलिंडर रखने चाहिए ताकि सांस संबंधी बीमारियों से पीड़ित लोगों को जरूरत पड़ने पर सहायता दी जा सके। यदि कोई यात्री या उसका साथी टिकट कलेक्टर या अटेंडेंट को मेडिकल प्रॉब्लम के बारे में बताता है तो यह उसकी ड्यूटी है कि वह अगले स्टेशन को सूचित करे और वहां पहुंचने पर अस्पताल ले जाकर जरूरी इलाज कराया जा सके।’
सुप्रीम कोर्ट ने ये आदेश राजस्थान हाई कोर्ट की एक याचिका को लेकर सुनाया है, जिसमें राजस्थान हाईकोर्ट की ओर से रेलवे को लंबी दूरी की ट्रेनों में एक मेडिकल ऑफिसर, एक नर्स और एक अटेंडेंट मुहैया कराने की बात कही गई थी। सरकार ने तर्क दिया था कि ट्रेनों में डॉक्टरों को तैनात करना और बीमार यात्रियों के मेडिकल चेकअप के लिए मशीनें इंस्टॉल करना संभव नहीं है।