SC का ऐतिहासिक निर्णय, कहा-HC को अपने ही आदेश वापस लेने का है अधिकार
व्यापक नीति बनाने के दिए निर्देश
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने राजधानी दिल्ली और एनसीआर में भोजन की बर्बादी रोकने के लिए दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल को पूर्ण और व्यापक नीति बनाने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा है कि ऐसी व्यवस्था की जाए ताकि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के मोटलों, फ़ार्म हाउसों में होने वाले शादी समारोह में खाने-पीने की वस्तुओं की बर्बादी को रोका जा सके। बता दें कि जस्टिस एमबी लोकुर, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस हेमंत गुप्ता की पीठ ने मामले की सुनवाई की और कहा कि ऐसी नीति बनाई जाए जिसमें समारोह में मेहमानों की संख्या पर नियंत्रण लगाने की संभावना की तलाश की जा सके। इस के अलावा कोर्ट ने इस बात पर भी टिप्पणी की है कि शादी समारोह के कारण सड़कों पर अक्सर ट्रैफिक जाम की समस्या बन जाती है, इसके समाधान के लिए भी कोई नीति बनानी चाहिए।
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अगली सुनवाई 5 फरवरी को होगी
आपको बता दें कि इससे पहले पिछली सुनवाई में पीठ ने कहा था कि राजधानी में होने वाली शादियों में भारी मात्रा में खाने की बर्बादी होती है। लेकिन इस संबंध में राज्य और राज्य अथॉरिटी जिसमें नगर निगम भी शामिल है, कोई ठोस कदम नहीं उठाया। इससे ऐसा लगता है कि इनकी मंशा मोटलों और फ़ार्म हाउस मालिकों के पक्ष में है, जो कि सार्वजनिक हितों के खिलाफ है। कोर्ट ने आगे कहा कि सरकार से जुड़े हुए जो भी अधिकारी हैं उनका दायित्व है कि जनता के हितों का ख्याल रखें। अदालत ने कहा पेय पदार्थ और खाने की वस्तुओं की उपलब्धता एक स्वाभाविक मानव अधिकार है और अधिकारियों को इसका सम्मान करना चाहिए। बता दें कि इस मामले की अगली सुनवाई 5 फरवरी 2019 को होगी और पीठ ने इस दिन मुख्य सचिव को कोर्ट में मौजूद रहन के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि जीवन में पैसा ही सबकुछ नहीं होता। बता दें कि कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि 31 जनवरी 2019 तक मुख्य सचिव और उपराज्यपाल यह नीति बनाएं और उसे कठोरता से लागू किया जाए ताकि आम लोगों को को दिक्कत न हो, जिससे की गरीबों और जरूरत मंदों को भोजन मिल सके।