क्या है नागरिकता अधिनियम विधेयक (संशोधन) 2016
आपको बता दें कि आजादी के समय देश के बंटवारे के बाद हजारों लोग पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए थे। लेकिन आजादी के 70 वर्ष गुजर जाने के बाद इन लोगों को भारत की स्थाई नागरिकता नहीं मिल सकी। इसी संदर्भ में मोदी सरकार ने 2016 में नागरिकता अधिनियम विधेयक (संशोधन) लाया। इस विधेयक के मुताबिक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से पलायन कर भारत आने वाले गैर-मुस्लिम लोगों को कुछ शर्तों के साथ स्थाई नागरिकता दी जाएगी। अब कुछ राजनीतिक दल के साथ-साथ कुछ लोग सरकार के इसी बिल का विरोध कर रहे हैं। विरोध करने वाले सियासी दलों और लोगों का कहना है कि संशोधन विधेयक में केवल गैर-मुस्लिमों को ही क्यों शामिल किया गया है, जबकि ऐसे हजारों मुस्लिम परिवार है जो माइग्रेट होकर दशकों से भारत में रह रहा है और उन्हें किसी भी देश की नागरिकता हासिल नहीं है। अब देखना दिलचस्प होगा कि सरकार के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट इसपर क्या निर्णय लेती है।
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लोकसभा में पास हो चुका है यह बिल
आपको बता दें कि नागरिकता अधिनियम विधेयक (संशोधन) 2016 लोकसभा में पारित हो चुका है। बीते 9 जनवरी को लोकसभा में केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने बिल को पेश किया और सर्वसम्मति से इसे पारित किया गया। हालांकि इस दौरान कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस ने इसका विरोध करते हुए सदन से वाक आउट किया। अभी यह बिल राज्यसभा से पारित नहीं हो सका है। संभावना जताई जा रही है कि बजट सत्र के दौरान इसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा। बता दें कि दिसंबर 2018 में सुप्रीम कोर्ट में एक PIL दाखिल किया गया था, जिसमें कोर्ट से मांग की थी कि पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) संशोधन नियम, 2015,को निरस्त किया जाए, जो भारत में प्रवासियों के प्रवेश और ठहरने को नियमित करता है। बता दें कि कोर्ट में दाखिल PIL में उन नियमों और अधिसूचनाओं को चुनौती दी गई है, जो छह धर्मों, हिंदू, ईसाई, जैन, बौद्ध, सिख और पारसी लोगों के भारत में प्रवेश और रहने को नियमित करती हैं।