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घुसपैठियों की ‘घर वापसी’ का रास्ता साफ, सुप्रीम कोर्ट का मोदी सरकार के फैसले में दखल से इनकार

locationनई दिल्लीPublished: Oct 04, 2018 11:46:48 am

Submitted by:

Saif Ur Rehman

रोहिंग्या समुदाय के सात लोगों वापस अपने स्वदेश लौट रहे हैं।

Kejriwal

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नई दिल्ली। घुसपैठियों को वापस भेजने का रास्ता साफ हो गया है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने विरोध की याचिका खारिज कर दी है। गुरुवार को सात रोहिंग्या को म्यांमार भेजने के केंद्र सरकार के फैसले पर सर्वोच्च अदालत ने दखल देने से मना कर दिया। केंद्र सरकार ने अदालत में कहा कि म्यांमार सरकार ने उन्हें अपने देश का नागरिक माना है और वह वापस उन्हें लेने को सहमत हैं।
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घुसपैठियों की घर वापसी

बता दें कि आज केंद्र की मदी सरकार पहली बार अवैध तरीके से भारत में रह रहे रोहिंग्या समुदाय के सात लोगों को वापस उनके वतन म्यांमार भेज रहा है। सभी विदेशी कानून के उल्लंघन के आरोप में सातों लोगों को 29 जुलाई, 2012 को गिरफ्तार किया गया था। वापस जाने वाले लोगों के नाम हैं मोहम्मद जमाल, मोहबुल खान, जमाल हुसैन, मोहम्मद युनूस, सबीर अहमद, रहीम उद्दीन और मोहम्मद सलाम। सभी की उम्र 26 से 32 वर्ष के बीच है। उन्हें बुधवार को ही मणिपुर की राजधानी इम्फाल पहुंचाया गया था। आज उन्हें म्यांमार के अधिकारियों को सौंप दिया जाएगा। एक अधिकारी ने जानकारी दी थी कि विदेशी नागरिकों को वापस भेजने का कार्य पिछले कुछ वकत से चल रहा है। इस वर्ष की शुरूआत में हमने बांग्लादेश, म्यामांर और पाकिस्तान के कई नागरिकों को वापस उनके देश भेज दिया है।
संयुक्त राष्ट्र ने जताई आपत्ति

वहीं संयुक्त राष्ट्र संघ ने रोहिंग्या समुदाय के लोगों को वापस भेजने पर आपत्ति जताई । नस्लवाद पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत ने कहा है कि अगर भारत ऐसा करता है तो यह उसके अंतरराष्ट्रीय कानूनी दायित्व से मुकरने जैसा होगा। उल्लेखनीय है कि भारत सरकार ने गत वर्ष संसद को बताया था कि संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी यूएनएचसीआर में पंजीकृत 14,000 से ज्यादा रोहिंग्या लोग भारत में रहते हैं। हालांकि सहायता प्रदान करने वाली एजेंसियों ने देश में रहने वाले रोहिंग्या लोगों की संख्या करीब 40,000 बताई है।
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