सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को जस्टिस डीवाई चंद्रचूड और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये इस मामले की सुनवाई की। बेंच ने कहा कि गोस्वामी के खिलाफ अगले तीन सप्ताह तक कोई भी कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए और इस दौरान गोस्वामी अग्रिम जमानत लेने के साथ ही अन्य उपाय अपना सकते हैं।
दिल्ली के अस्पतालों तैनात डॉक्टर-नर्स भी सुरक्षित नहीं, एम्स-एलएनजेपी-सफदरजंग में भी तमाम पॉजिटिव-क्वारेंटाइन इस दौरान जस्टिस चंद्रचूड ने कहा कि अदालत याचिका को संशोधित करने की भी अनुमति देगी, जिसमें मांग की गई थी कि इस मामले में दर्ज तमाम प्राथमिकी को मजबूत करने के लिए वैकल्पिक आवेदन शामिल करने दिए जाएं और मामले के लिए शिकायतें और एफआईआर को रिकार्ड में लाया जाए।
उन्होंने कहा, “दूसरी बात यह है कि हम एक को छोड़कर सभी एफआईआर में आगे की कार्रवाई करेंगे। इस मामले में कार्रवाई एक ही राज्य में होती नजर आ रही है। इसलिए हम याचिका में संशोधन के लिए सभी लंबित प्राथमिकी पर स्टे लगाएंगे।”
वहीं, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अर्णब गोस्वामी ने कहा, “मुझे यह सुनकर प्रसन्नता हुई कि सर्वोच्च न्यायालय ने मुझे गिरफ्तारी से संरक्षण दिया है। बतौर पत्रकार मैं रिपोर्ट और प्रसारण करने, अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रतता की रक्षा करने और अपनी स्वतंत्रतता के अपने संवैधानिक अधिकार को बरकरार रखने के लिए सर्वोच्च न्यायालय का बहुत आभारी हूं।”
गोस्वामी ( Attack on Arnab Goswami ) ने कहा कि उनके खिलाफ कांग्रेस पार्टी द्वारा 150 से ज्यादा एफआईआर दर्ज कराई गई हैं जो उन्हें पालघर मामले की रिपोर्टिंग से रोकने के लिए डराने का स्पष्ट प्रयास है।
देश में Coronavirus: तेजी से बढ़ते संक्रमण के बीच ICMR ने दी अच्छी जानकारी सुनवाई के दौरान, छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विवेक तन्खा ने सोनिया गांधी के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक बयान देने के लिए गोस्वामी के खिलाफ कठोर आदेश मांगा, जिस पर न्यायमूर्ति चंद्रचूड ने कहा कि “खुद के लिए बोलने पर मीडिया पर कोई संयम नहीं होना चाहिए। मैं मीडिया पर कोई भी प्रतिबंध लगाने के खिलाफ हूं।”
तन्खा ने कहा, “यह प्रसारण लाइसेंस के दुरुपयोग का मामला है। जो सज्जन अदालत के सामने आए हैं, वे सांप्रदायिक विद्वेष को बढ़ावा दे रहे हैं। तालाबंदी के समय माहौल को बिगाड़ा। आपको ऐसी परिस्थितियों में खुद पर संयम रखना चाहिए, लेकिन आप उकसा रहे हैं।”
अर्णब गोस्वामी की ओर से मौजूद वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और सिद्धार्थ भटनागर ने कहा, “महाराष्ट्र में पालघर नाम की एक जगह है, जहां 12 पुलिस कर्मियों की मौजूदगी में तीन लोगों की हत्या कर दी गई। मेरे मुवक्किल ने 45 मिनट के अपने दैनिक कार्यक्रम में इस घटना को सबके सामने पेश किया।”
उन्होंने कहा, “अब मेरे मुवक्किल के खिलाफ महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान, पंजाब, तेलंगाना और जम्मू-कश्मीर में एफआईआर दर्ज की गई हैं। उन्होंने कांग्रेस के खिलाफ सवाल उठाए थे और पूछा था कि यह क्रूर घटना क्यों हुई।” रोहतगी ने 23 अप्रैल को गोस्वामी और उनकी पत्नी पर हुए शारीरिक हमले का भी जिक्र किया। गोस्वामी के खिलाफ दायर मानहानि मामले का जिक्र करते हुए रोहतगी ने कहा, “संबंधित व्यक्ति (जिसकी मानहानि की गई हो) के अलावा किसी अन्य के द्वारा मानहानि का आरोप नहीं लगाया जा सकता है। इसे इस अदालत ने सुलझा लिया है।”
कोरोना का खतरा लगा तो टेस्ट कराने दो सरकारी अस्पताल पहुंचा सब्जी वाला, नहीं की टेस्टिंग तो किया शानदार काम महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि पुलिस मामले की जांच करे और निष्कर्ष पर आए। उन्होंने कहा, “स्पष्ट रूप से अपराध किए जा रहे हैं। मैं समझ सकता हूं कि मामलों को जोड़ा जा रहा है। इसके अलावा, किसी व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की जा सकती है? अगर कांग्रेस कार्यकर्ता एफआईआर दर्ज करते हैं तो क्या गलत है? भाजपा कार्यकर्ताओं ने राहुल गांधी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। वह एक मानहानि मामले में सुनवाई में जा रहे हैं।”