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सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: धार्मिक स्‍थलों के अंदर हुई मनमर्जी की जिम्‍मेदारी जिला जजों की भी

भारत में धार्मिक संस्‍थानों की बढ़ती संख्‍या पर स्‍वत: संज्ञान लेते सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने यह आदेश दिया।

नई दिल्लीAug 23, 2018 / 10:46 am

Dhirendra

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सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, धार्मिक स्‍थलों के अंदर हुई मनमर्जी के लिए जिम्‍मेदार होंगे जिला जज

नई दिल्‍ली। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने धार्मिक स्‍थलों के रख रखाव को लेकर ऐतिहासिल फैसला दिया है। शीर्ष अदालत के फैसलों के अनुसार अगर मंदिरों, मस्जिदों, चर्चो या किसी भी अन्‍य धार्मिक स्‍थलों के रख रखाव पर अनियमितताएं पाईं गईं तो इसकी जवाबदेही जिला अदालतों के जजों से लेकर शीर्ष कोर्ट तक की होगी। अदालत के इस फैसले से साफ हो गया है कि मंदिर चाहे किसी भी धर्म व सम्‍प्रदाय से जुड़ा क्‍यों न हो मनमर्जी चलाने वाले प्रबंधकों की अब खैर नहीं। ऐसा करने वाले धार्मिक संस्‍थानों के खिलाफ जिला जज संज्ञान लेंगे और हाईकोर्ट को अपना रिपोर्ट सौंपेंगे। हाईकोर्ट इस मसले को जनहित याचिका के रूप में स्‍वीकार करेगी।
जिला न्‍यायालयों तैयार करेंगे रिपोर्ट
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के मुताबिक धार्मिक स्थलों और चैरिटेबल संस्थानों की सफाई, रख-रखाव, संपत्ति और अकाउंट्स को लेकर एक आदेश दिया है। कोर्ट ने जिला न्यायालयों को इनसे संबंधित शिकायतों की जांच करने और इनकी रिपोर्ट हाईकोर्ट में सौंपने का आदेश दिया है। सर्वोच्च अदालत ने इन्हें पीआईएल मानने का भी आदेश दिया है।
कोर्ट की तय की जवाबदेही
यह महत्‍वपूर्ण आदेश हाल ही में सेवानिवृत हो चुके जस्टिस आदर्श गोयल और जस्टिस अब्‍दुल नजीर ने पिछले महीने दिया था। सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश सभी मंदिरों, मस्जिद, चर्च और दूसरे धार्मिक चैरिटेबल संस्थाओं पर लागू होगा। जिला जजों की रिपोर्ट को पीआईएल की तरह ही माना जाएगा, जिनके आधार पर हाई कोर्ट उचित फैसला ले सकेंगे। आदर्श गोयल और नजीर की बेंच ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि धार्मिक स्थलों पर आनेवाले लोगों की समस्याओं को देखते हुए, मैनेजमेंट में कमी, साफ-सफाई, संपत्ति की रखवाली और दान या चढ़ावे की रकम का सही प्रकार से प्रयोग ऐसे मुद्दे हैं जिन पर सिर्फ राज्य या केंद्र सरकार को ही नहीं सोचना है। यह कोर्ट के लिए भी विचार करने योग्य मुद्दा है।
न्‍यायपालिका पर बढ़ेगा दबाव
सुप्रीम कोर्ट की यह आदेश भारत में मौजूद धार्मिक स्थलों की संख्या के आधार पर स्वत: संज्ञान लेते हुए दिया है। देश में इस वक्त 20 लाख से अधिक मंदिर, तीन लाख मस्जिद और हजारों चर्च हैं। हालांकि इस आदेश के बाद यह स्पष्ट है कि न्यायपालिका पर अतिरिक्त दबाव बढ़ने वाला है। इस वक्त देश में 3 करोड़ के करीब पेंडिंग केस हैं। हाईकोर्ट और जिला अदालतों में बड़ी संख्या में पद रिक्त हैं। एमिकस क्यूरी गोपाल सुब्रमण्यम ने कोर्ट को जानकारी दी है कि सिर्फ तमिलनाडु में ही 7000 से अधिक प्राचीन मंदिर हैं।

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