scriptSC/ST मामला: सुप्रीम कोर्ट ने कहा तुरंत गिरफ्तारी मौलिक अधिकार के खिलाफ, संसद भी नहीं बना सकती कानून | SC says immediate arrest against fundamental rights in SCST case | Patrika News

SC/ST मामला: सुप्रीम कोर्ट ने कहा तुरंत गिरफ्तारी मौलिक अधिकार के खिलाफ, संसद भी नहीं बना सकती कानून

locationनई दिल्लीPublished: May 16, 2018 07:59:49 pm

Submitted by:

Anil Kumar

सुप्रीम कोर्ट ने किसी नागरिक के सिर पर गिरफ्तारी की तलवार लटकती रहे तो यह किसी सभ्य समाज के लिए अच्छे संकेत नहीं है।

supreme court of india

नई दिल्ली। देश की सर्वोच्च अदालत ने एससी-एसटी एक्ट मामले में केंद्र सराकर की पुनर्विचार याचिका पर बुधवार को सुनवाई करते हुए एक अहम टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि अदालत का पुराना आदेश फिलहाल जारी रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा सिर्फ किसी के बयानों के आधार पर यदि किसी नागरिक के सिर पर गिरफ्तारी की तलवार लटकती रहे तो यह किसी सभ्य समाज के लिए अच्छे संकेत नहीं है। हमें समझना चाहिए कि हम एक सभ्य समाज में नहीं रह रहे हैं। हालांकि कोर्ट ने कहा कि इस मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी अागे की सुनवाई छुट्टियों के बाद की जाएगी। कोर्ट में सुनवाई के दौरान सबसे बड़ी बात रही कि जस्टिश आदर्श गोयल ने कहा कि संसद भी कोई ऐसा कानून नहीं बना सकती है जो किसी नागरिक के जीने के अधिकारों का हनन करता हो और बिना कानूनी प्रक्रिया के पालन के ही किसी व्यक्ति को जेल में डाल दिया जाता हो। आपको बता दें कि कोर्ट ने यह आदेश अनुच्छेद 21 के तहत जीने के अधिकार तो संरक्षण देने के लिए दिया है और टिप्पणी करते हुए कहा कि किसी भी व्यक्ति को उनके जीने के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है।

सभी के लिए मौलिक अधिकार पूरा करना संभव नहीं: अटॉर्नी जनरल

आपको बता दें कि बुधवार को केंद्र सरकार की पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। भारत सरकार की ओर से कोर्ट में मौजूद अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि लोकतांत्रिक देश में जीने का अधिकार बड़ा व्यापक है। जिसमें रोजगार का अधिकार, शेल्टर भी मौलिक अधिकार है। लेकिन क्या एक विकासशील देश में सभी के लिए मौलिक अधिकार पूरा करना संभव है, क्या सरकार सभी को रोजगार दे सकती है?

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कोर्ट ने पहले क्या कहा था?

आपको बता दें कि इससे पहले 20 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एससी-एसटी एक्ट अधिनियम के तहत मिली किसी भी शिकायत पर तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगाई जाए और गिरफ्तारी से पहले प्रारंभिक जांच की जाए, जब शिकायत फर्जी या बेबुनियाद लगे। इसके अलावे कोर्ट ने कई निर्देश दिए थे। कोर्ट ने कहा था कि सभी अभी ऐसे हालात है कि सभी मामलों में गिरफ्तारी हो रही है, भले ही पुलिस अधिकारी भी यह महसूस करते हो कि इनमें से कई शिकायतें फर्जी हैं। बता दें कि फिलहाल अदालत ने बुधवार को सुनवाई करते हुए अपने आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है और उसे एक रक्षात्मक कदम बताया है। गौरतलब है कि जस्टिस आदर्श गोयल 6 जुलाई को रिटायर हो रहे हैं।ऐसे में इस मामले में सुनवाई का क्या होगा, ये बड़ा सवाल है।

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