क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने…
बता दें कि अदालत ने यह टिप्पणी 1983 के एक केस में अभियोजन के गवाह से पूछताछ की अनुमति देने के निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखने संबंधी कलकत्ता हाई कोर्ट के निर्णय के खिलाफ याचिका पर सुनवाई के दौरान की। मामले पर सुनवाई कर रहे जस्टिस ए के सीकरी और न्यायमूर्ति एस अब्दुल ने कहा, ‘भारत में एक व्यक्ति के लिए 35 साल तक मुकदमे का सामना करना अपने आप में सजा है।’
क्या है मामला…
सुप्रीम कोर्ट ने जांच एजेन्सी के वकील से कहा कि यह मामला 35 पूराना है। इस मामले में अब तक सीबीआई कोर्ट में यह गवाह पेश नहीं कर सकी। इस पर सीबीआई के वकील ने कहा कि अभियोजन का यह गवाह हस्तलिपि विशेषज्ञ है और इस मामले में वह महत्वपूर्ण है। बता दें कि 1983 में धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश, फर्जी दस्तावेज का उपयोग करने जैसे आरोपों में भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों और भ्रष्टाचार निवारण कानून के तहत यह मामला दर्ज किया गया था।