SC का ऐतिहासिक फैसला, इस्तीफ़ा देना कर्मचारी का अधिकार, काम करने के लिए नहीं किया जा सकता बाध्य
क्या है पूरा मामला
आपको बता दें कि जस्टिस जोसेफ ने कहा कि आमतौर पर किसी मामले का ट्रायल पब्लिक ओपिनियन और सामूहिक मांग को ध्यान में रख कर होता है। हालांकि पीठ में शामिल अन्य दो वरिष्ठ सदस्यों जस्टिस दीपक गुप्ता व जस्टिस हेमंत गुप्ता ने इस बात पर असहमति जताई। दोनों जजों ने फांसी की सजा को वैध करार दिया। अपने फैसले में दोनों जजों ने सुप्रीम कोर्ट की ही एक पुराने फैसले का हवाला देते हुए फांसी की सजा में सुधार को लेकर बहस की जरूरत को खारिज कर दिया।
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कोर्ट ने इस मामले में दिया यह फैसला
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यों की पीठ हत्या के एक मामले की सुनवाई कर रही थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने आरोपी को राहत देते हुए फांसी की सजा को रद्द कर उम्रकैद में बदल दिया। कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई प्रमाण नहीं दिया गया है जिसमें यह बताया गया हो कि दोषी के सुधरने की कोई गुंजाइश नहीं बची है। बता दें कि दोषी छन्नूलाल वर्मा को वर्ष 2011 में तीन लोगों की हत्या के मामले में फांसी की सजा मिली थी।