गाइडलाइन के मुताबिक जिन स्कूलों में टीचर्स और स्टाफ मेंबर्स अपनी हाजरी बायोमीट्रिक मशीन के जरिए लगाते हैं, वहां स्कूल प्रबंधन को इसका कोई और विकल्प तलाशना होगा। क्योंकि मशीन पर अंगुलियों के निशान से संक्रमण की आशंका रहती है। इसके अलावा अभी महज 50 प्रतिशत शिक्षकों को ही बुलाने की अनुमति होगी।
अगर स्कूल छात्रों के लिए वाहन की व्यवस्था करा रहा है तो गाड़ियों को रोजाना नियमित अंतराल पर सैनिटाइज कराना होगा। स्कूल में प्रवेश से पहले छात्रों समेत पूरे स्टाफ के हाथ भी सैनिटाइज करने होंगे। साथ ही सभी कक्षाएं, प्रैक्टिकल लैब और बाथरूम सोडियम हाइपोक्लोराइट सॉल्यूशन से सैनिटाइज कराने होंगे। इसके अलावा जो शिक्षक या स्टूडेंट्स मास्क में नहीं होंगे उन्हें स्कूल प्रबंधन की ओर से मास्क और सैनिटाइजर उपलब्ध कराना होगा।
क्लासेज में सोशल डिस्टेंसिंग के लिए शिक्षकों, स्टूडेंट्स व स्कूल के अन्य स्टाफ के बीच कम से कम 6 फुट की दूरी रखनी होगी। कक्षाएं बंद परिसर की जगह खुले में लगेंगी। हर कक्षा की पढ़ाई के लिए अलग-अलग समय निर्धारित होगा। प्रैक्टिकल लैब के अंदर छात्राें के बीच दूरी बनाए रखने के लिए कम संख्या में बैच बनाए जाएंगे।
जो छात्र, शिक्षक व अन्य स्कूल स्टाफ कंटेनमेंट जोन में रहते हैं, उनके स्कूल आने पर पाबंदी होगी। इसके अलावा बुजुर्ग, बीमार व गर्भवती महिलाओं को स्कूल में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी। इसके अलावा जब शिक्षक, स्टाफ और स्टूडेंट्स स्कूल में प्रवेश करेंगे तो उनकी थर्मल स्कैनिंग होगी। अगर किसी पर कोरोना संक्रमण की आशंका दिखती है तो उसे आइसोलेट किया जाएगा और स्वास्थ्य विभाग और अभिभावकों को स्कूल प्रबंधन की ओर से इसकी सूचना दी जाएगी। संक्रमण का डर न रहे इसलिए स्कूलों में अभी कैंटीन बंद रखे जाएंगे।