पाकिस्तान की नई सरकार का दावा, कुलभूषण जाधव के खिलाफ है पर्याप्त सबूत तीन मानचित्रकारों पर की मेहनत कैलीफोर्निया के कई वैज्ञानिकों ने मिलकर इस नक्शे को तैयार किया है। इसके लिए तीन मानचित्र तैयार किए गए हैं। इसमें से सटीक मानचित्र को चुना गया। इन्हें इसलिए तैयार किया गया क्योकि 2017 में अमरीका के मैसाच्युसेट्स में बोस्टन पब्लिक स्कूल गॉल-पीटर नक्शे को महाद्वीपों के सटीक आकार वाले मानक नक्शे के तौर पर स्वीकार करने जा रहा था। इसे जेम्स गॉल ने 1855 में बनाया था। इसे ईक्वल एरिया प्रोजेक्शन मैप माना जाता है। लेकिन इसमें महाद्वीपों का सटीक क्षेत्रफल दिखाने के लिए उनके आकार को तोड़ा-मरोड़ा गया है।
यह नक्शा बड़े स्तर पर इस्तेमाल हो रहा है तकरीबन पांच शताब्दियों से यह नक्शा बड़े स्तर पर इस्तेमाल होता आ रहा है। हालांकि यह भूमध्य रेखा से दूर के क्षेत्रों को उनके वास्तविक आकार से बड़ा दिखाता है। इसे 1569 में जेरार्डस मर्केटर ने बनाया था। इसे समुद्री यात्राओं में रास्ता देखने के लिए बनाया गया था। लेकिन इसमें महाद्वीपों का क्षेत्रफल गलत दिखाया गया है। उदाहरण के तौर पर स्कैंडिनेवियाई देशों को भारत से बड़ा दिखाया गया है जबकि भारत सभी स्कैंडिनेवियाई देशों के कुल क्षेत्रफल से तीन गुना बड़ा है। नक्शे में ग्रीनलैंड अफ्रीका से बड़ा दिखाई देता है, जबकि असल में अफ्रीका का क्षेत्रफल ग्रीनलैंड से 14 गुना अधिक है।