scriptदावा : जितनी तेजी से बढ़ रही आबादी उतनी ही तेजी से बढ़ेगी गर्मी, 50 सालों के बाद इंसानों का रहना होगा मुश्किल | Scientists Prediction After 50 years in India Heat Like Sahara desert | Patrika News

दावा : जितनी तेजी से बढ़ रही आबादी उतनी ही तेजी से बढ़ेगी गर्मी, 50 सालों के बाद इंसानों का रहना होगा मुश्किल

locationनई दिल्लीPublished: May 07, 2020 11:19:09 am

Submitted by:

Ruchi Sharma

Highlights
-अध्ययन (Research) में बताया गया है कि अगले 50 साल में भारत में मौजूद 1.20 बिलियन यानी 120 करोड़ लोग भयानक गर्मी का सामना करेंगे- ये गर्मी वैसी होगी जैसी सहारा रेगिस्तान में पड़ती है- यह अध्ययन जर्नल प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज प्रेडिक्ट्स (Scientists Prediction) में प्रकाशित हुआ है

शौक पड़ सकता है भारी: ठेकों पर संक्रमण फैलने का खतरा मंडराया

शौक पड़ सकता है भारी: ठेकों पर संक्रमण फैलने का खतरा मंडराया

नई दिल्ली. अगर प्रदूषण, पेड़ों की कटाई नहीं सुधारा तो आने वाले 50 सालों में हमे बहुत भयानक चीजों से होकर गुजरना पड़ेगा। एज भी हर रोज लगातार पृथ्वी पर बदलाव देखा जा रहा है। इस बीच एक चौंका देने वाला अध्ययन सामने आया है। अध्ययन में बताया गया है कि अगले 50 साल में भारत में मौजूद 1.20 बिलियन यानी 120 करोड़ लोग भयानक गर्मी का सामना करेंगे। ये गर्मी वैसी होगी जैसी सहारा रेगिस्तान में पड़ती है। यह अध्ययन जर्नल प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज प्रेडिक्ट्स (Scientists Prediction) में प्रकाशित हुआ है। रिसर्ज में बताया की गर्मी इतनी भयावह होगी कि धरती में इंसानों का रहना मुश्किल हो जाएगा।
ग्लोबल वार्मिंग का सबसे बड़ा खतरा इंसानों को

नीदरलैंड के वैगननिंगन विश्वविद्यालय के इकोलॉजिस्ट मार्टन शेफ़र के अनुसार जलवायु परिवर्तन से वैश्विक औसत वार्षिक तापमान में 1.8 डिग्री की वृद्धि होगी। इससे लगभग एक अरब लोग गर्मी में बिना एसी के रहने के लिए मजबूर होंगे। रिपोर्ट में कहा गया है कि कितने लोग खतरे में होंगे, यह इस बात पर निर्भर करता है कि कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन कितना होगा और दुनिया की आबादी कितनी तेजी से बढ़ती है। ग्लोबल वार्मिंग का सबसे बड़ा खतरा इंसानों को ही है। यही सबसे ज्यादा मुश्किल में आएंगे।
3.5 अरब लोग बेहद गर्म क्षेत्रों में रहेंगे

जलवायु वैज्ञानिकों का कहना है कि, जनसंख्या वृद्धि और कार्बन प्रदूषण के मामले में सबसे खराब स्थिति के तहत लगभग 3.5 अरब लोग बेहद गर्म क्षेत्रों में रहेंगे। यह 2070 की अनुमानित आबादी का एक तिहाई है। कॉर्नेल विश्वविद्यालय के जलवायु वैज्ञानिक नताली महोल्ड ने कहा कि यह कम समय में लोगों की बहुत बड़ी संख्या है। यही कारण है कि हम चिंतित हैं। जलवायु परिवर्तन को अलग तरीके से देखने के लिए अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिकों की एक टीम ने भालू, पक्षी और मधुमक्खियों पर अध्ययन किया, जिसे “जलवायु आला” कहते है।
2070 तक कम से कम 2 अरब लोग एेसी स्थितियों में रहेंगे

6,000 साल पहले के तापमान का अनुमान लगाया उन्होंने 6,000 साल पहले के तापमान का अनुमान लगाया जो 52 से 59 डिग्री के बीच औसत वार्षिक तापमान होने की बात कही गई। वैज्ञानिकों ने अनुकूल तापमान वाले स्थानों की तुलना में असुविधाजनक और काफी गर्म स्थानों को देखा और गणना की कि 2070 तक कम से कम 2 अरब लोग उन स्थितियों में रहेंगे। वर्तमान में लगभग 2 करोड़ लोग 29 डिग्री सेल्सियस से अधिक वार्षिक औसत तापमान वाले स्थानों पर रहते हैं, ऐसे स्थान जो अनुकूल तापमान वाले स्थानों से परे हैं। वह क्षेत्र पृथ्वी के 1 फीसदी से कम है, और यह ज्यादातर सहारा रेगिस्तान के पास है, इसमें मक्का, सऊदी अरब शामिल हैं। इसमें भारत भी शामिल होगा।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो