Coronavirus: ओडिशा विधानसभा 29 मार्च तक स्थगित, शिक्षा संस्थान 31 तक बंद दिल्ली हिंसा से प्रभावित मुसलमानों के लिए जुटाया पैसा उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा की जांच के दौरान ये जानकारी सामने आई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह पैसा उन मुसलमानों को भेजने के लिए जुटाया गया, दिल्ली हिंसा के दौरान जिनके घर तबाह हुए या जिन्होंने इसमें अपने परिवार के किसी सदस्य को खोया। बता दें, दिल्ली हिंसा के दौरान 53 लोगों की जान गई और लगभग 500 लोग घायल हुए। दिल्ली हिंसा के फुटेज और मैजेस इंटरनेट के माध्यम से एक सोची-समझी साजिश के तहत फैलाए गए। इससे NGO की ओर से जुटाया गया पैसा हवाला के जरिए दुबई से भारत भेजा गया।
उन्नाव रेप केस: पीड़िता के पिता की हत्या के दोष में कुलदीप सेंगर को 10 साल कैद गृहमंत्री अमित शाह संसद में किया जिक्र बता दें, एक दिन पहले ही गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में बयान दिया था कि दिल्ली हिंसा के लिए पैसा विदेश से आया था और हवाला फंडिंग मामले में 5 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने यह भी कहा था कि दिल्ली दंगों में अवैध हथियारों का इस्तेमाल हुआ था।
साइबर अपराधियों ने भी भड़काया रिपोर्ट में यह बात भी कही गई है कि- पाकिस्तान में बैठे साइबर अपराधियों ने भारत और नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ लोगों को भड़काने की कोशिश की है। इन्होंने इसके लिए कनाडा, जर्मनी और अमरीका के कई क्षेत्रों में लोगों को निशाना बनाया।
Coronavirus Live: हरियाणा में कोरोना का कहर, महामारी घोषित करने वाला पहला राज्य पाकिस्तानी साइबर अपराधियों ने फैलाया भ्रम कराची के ऐसे कई समूहों की ओर से भी जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने, सीएए और दिल्ली हिंसा को लेकर जहर उगला गया। जानकारी के अनुसार- इंडोनेशिया की एनजीओ ने दिल्ली हिंसा पीड़ितों तक 25 लाख रुपये पहुंचाने का काफी प्रयास किया है। इसके लिए उसने संगठन के बोर्ड सदस्यों ने स्थानीय मुस्लिम संगठनों से संपर्क भी किया। रिपोर्ट में यह भी खुलासा किया है कि एनजीओ ने इंडोनेशिया से अपनी टीम को भारत भेजने तक की योजना बनाई।
सुपरस्टार रजनीकांत बोले- मुख्यमंत्री बनने की अकांक्षा नहीं, मैं सिर्फ बदलाव चाहता हूं इस्लामी प्रचार के लिए धन जुटाती है NGO बता दें, एनजीओ को एक अत्यधिक कट्टरपंथी समूह माना जाता है। इस्लामिक प्रसार के लिए इसके माध्यम से दुनिया के कई हिस्सों में पैसा पहुंचाया जाता है। एनजीओर की ओर से बांग्लादेश में कॉक्स बाजार में विस्थापित रोहिंग्या मुसलमानों के लिए एक कैंप भी लगाया गया था। साथ ही इसने 2015 में लश्कर के मूल संगठन जमात-उद-दावा (JuD) को इंडोनेशिया के बांदा आचे क्षेत्र में रोहिंग्या शिविरों में गतिविधी करने में मदद की थी।