देश के दिग्गज वकीलों में शुमार राजीव धवन ने चीफ जस्टिस को लिखे पत्र कहा है कि दिल्ली के सीएम बनाम एलजी अधिकार मामले के दौरान अपमान के चलते मैंने प्रैक्टिस छोडऩे का फैसला लिया है। इस दौरान दिल्ली के मुख्यमंत्री और गवर्नर के अधिकार से संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान वकीलों को ‘ऊंची आवाज’ में बहस करने पर सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की थी।
मुख्यमंत्री और एलजी संबंधी मामले में राजीव धवन दिल्ली सरकार का पक्ष रख रहे थे। सुनवाई के आखिरी दिन अदालत में तीखी बहस हुई। चीफ जस्टिस ने दिल्ली सरकार और अयोध्या विवाद जैसे मामलों की सुनवाई में वकीलों के तौर तरीकों पर नाखुशी जाहिर की। चीफ जस्टिस मिश्रा ने इन दोनों ही मामलों में बेहद तल्ख टिप्पणी की थी।
ऊंची आवाज बर्दाश्त नहीं
चीफ जस्टिस ने बहस के दौरान वकीलों से संयम बरतने को कहा। उन्होंने कहा था कि अगर बार खुद को नियंत्रित नहीं करता है, तो हम करेंगे। चीफ जस्टिस मिश्रा ने कहा कि ऊंची आवाज में बहस करने के तरीकों को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सीनियर वकीलों से नाराजगी जताते हुए उन्होंने कहा था, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ वकील सोचते हैं कि वो ऊंची आवाज में बहस कर सकते हैं, जबकि वो यह नहीं जानते इस तरह बहस करना बताता है कि वो वरिष्ठ वकील होने के लिए सक्षम नहीं हैं।
तर्क बेहद उद्दंड और खराब
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने अपनी कड़ी टिप्पणी में कहा था कि दिल्ली सरकार के मामले में वरिष्ठ वकील राजीव धवन के तर्क बेहद उद्दंड और खराब थे तो अयोध्या विवाद में कुछ सीनियर वकीलों का लहजा और भी अधिक खराब था। इन दोनों मामलों में वकीलों के बेकार और उद्दंड तर्कों के बारे में जितना कम कहा जाए उतना ही ठीक रहेगा।