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Prashant Bhushan Case: अवमानना से जुड़े इस मामले के बारे में जानिए सबकुछ

locationनई दिल्लीPublished: Aug 14, 2020 04:58:25 pm

Contempt Case में Supreme Court ने की बड़ी कार्यवाही
Senior lawyer Prashant Bhushan अवमानना मामले में दोषी करार
27 जून से लेकर 20 अगस्त को इस मामले में सजा पर होने वाली सुनवाई तक जानें सबकुछ

Prashant Bhushan

वरिष्ठ अधिकवक्ता प्रशांत भूषण

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) ने वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ( Prashant Bhushan ) के अवमानना मामले में बड़ी फैसला सुनाया है। सर्वोच्च अदालत ने प्रशांत भूषण को अवमानना ( Contempt Case ) का दोषी करार दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सजा पर सुनवाई अगले हफ्ते के लिए टाल दी है। सर्वोच्च अदालत में इस मामले में सजा पर सुनवाई 20 अगस्त को होगी।
न्यायपालिका के प्रति कथित रूप से दो अपमानजनक ट्वीट करने को लेकर अधिवक्ता प्रशांत भूषण के खिलाफ स्वत: शुरू की गई अवमानना कार्यवाही में सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने अपमानजनक ट्वीट करने को लेकर अधिवक्ता प्रशांत भूषण के खिलाफ शुरू की गई अवमानना कार्यवाही में उन्हें दोषी करार दिया है।
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प्रशांत भूषण अवमानना केस
वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने देश के सर्वोच्च न्यायलय और मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबड़े के खिलाफ ट्वीट किया था।
27 जून को जहां प्रशांत भूषण ने अपने ट्विटर अकाउंट से एक ट्वीट सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ किया।

28 जून को दूसरा ट्वीट चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े के खिलाफ किया था।
एक ट्वीट में प्रशांत भूषण ने पिछले 4 चीफ जस्टिस पर लोकतंत्र को तबाह करने में भूमिका निभाने का आरोप लगाया था। जबकि दूसरे ट्वीट में उन्होंने बाइक पर बैठे मौजूदा चीफ जस्टिस की तस्वीर पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी।
माहेक माहेश्वरी ने दाखिल की याचिका
मध्य प्रदेश के गुना के रहने वाले एक वकील माहेक माहेश्वरी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। उन्होंने इस याचिका के जरिए प्रशांत भूषण के चीफ जस्टिस पर किए गए ट्वीट की जानकारी दी।
उन्होंने कहा था कि सर्वोच्च अदालत बंद होने का प्रभांत भूषण का दावा झूठा है। चीफ जस्टिस पर किसी पार्टी के नेता से बाइक लेने का आरोप भी गलत है। इस ट्वीट से उन्होंने तथ्यों को गलत तरीके से पेश कर न्यायापालिका की छवि खराब करने की कोशिश की है।
इसके बाद 22 जुलाई को सर्वोच्च अदालत की ओर से प्रशांत भूषण को नोटिस जारी किया गया।
न्यायालय ने 5 अगस्त को इस मामले में सुनवाई पूरी करते हुए कहा था कि इस पर फैसला बाद में सुनाया जाएगा। इसके बाद 14 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को मामले में दोषी करार दिया। अब 20 अगस्त को इस मामले में सजा पर सुनवाई होगी।
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ये था प्रशांत भूषण का तर्क
प्रशांत भूषण ने कहा था कि वे ट्वीट न्यायाधीशों के खिलाफ उनके व्यक्तिगत स्तर पर आचरण को लेकर थे और वे न्याय प्रशासन में बाधा उत्पन्न नहीं करते।
ये है सजा का प्रावधान
कोर्ट की अवमानना अधिनियम की धारा 12 के तहत तय किए गए सजा के प्रावधान के मुताबिक, दोषी को छह महीने की कैद या फिर दो हजार रुपए तक नकद जुर्माना या फिर दोनों हो सकती है।
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