इसरो के लिए 24 सितंबर का दिन काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसी दिन अंतरिक्ष में इसरो ने इतिहास रचा। दरअसल आज ही का दिन 2009 में अंतरिक्ष में भारतीय प्रयासों की एक बड़ी उपलब्धि के लिए जाना जाता है।
घर में स्टॉक कर लें जरूरी चीजें, मौसम विभाग ने देश के इन राज्यों में अगले कुछ घंटों में भारी बारिश का जारी किया अलर्ट 2009 में 24 सितंबर को ही नासा ने अपने जर्नल में इस बात की पुष्टि की थी कि चांद पर पानी है। हालांकि, इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन के वैज्ञानिकों का दावा है कि उन्होंने नासा की घोषणा से तीन महीने पहले ही यह दावा कर दिया था।
लेकिन नासा के पुष्टि करने के बाद इसरो के मिशन का महत्व और बढ़ गया उनके प्रयासों को बल मिला था। वहीं, इसके पांच साल बाद 2014 में देश के पहले मंगल मिशन ने सफलतापूर्वक मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश किया था। अंतरिक्ष में भारतीय रिसर्च को देखते हुए यह दोनों ही उपलब्धियां बेहद खास रहीं।
वैसे भारतीय मिशन ने कुछ समय पहले ही चांद पर पानी होने की बात कह दी थी, लेकिन जब नासा का एम3 इंस्ट्रूमेंट चंद्रयान-1 से मिला तो 24 सितंबर 2009 में ही नासा ने इस बात की पुष्टि की, कि चांद पर पानी मौजूद है।
इस तरह इसरो ने अपने मिशनों के जरिए अंतरिक्ष में लगातार इतिहास रचा है। इसरो अपने मिशनों के जरिए अंतरिक्ष में देश के नाम ऊंचा कर ही रहा है साथ ही देश के दुश्मनों को भी बखूबी जवाब दे रहा है।
रोहित शर्मा की कप्तानी में मुंबई इंडियंस ने 6 साल बाद जीता पहला मैच, जानें क्या है पूरा मामला दरअसल चीन 2008 से 2018 के बीच कई बार भारतीय सैटेलाइट्स कम्युनिकेशंस पर साइबर अटैक कर रहा है। लेकिन इसरो लगातार अपने सिस्टम सुरक्षित रखने में कामयाब रहा है। इसरो ने कहा कि किसी भी हैकर के जरिए किसी भी उपकरण पहुंच नहीं बनाई जा सकी है।