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यह वैक्सीन कोरोना वायरस को रोकने में 89.3 प्रतिशत कारग
सीरएम इंस्टीट्यूट ने यह घोषणा नोवावैक्स इंक के उस बयान के एक दिन बाद की, जिसमें कहा गया था कि यूके में हुए ट्रायल के दौरान यह वैक्सीन कोरोना वायरस को रोकने में 89.3 प्रतिशत कारगर साबित हुई है। इसके साथ ही यह पिछले दिनों यूके में पाए गए कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन को रोकने में भी लगभग असरदार मानी जा रही है। पूनावाला ने एक ट्वीट में कहा कि सीरम इंस्टीट्यूट और नोवावैक्स की साझेदारी में बन रही यह वैक्सीन ने शानदार रिजल्ट दिया है। इसके साथ ही हमने भारत में भी ट्रायल शुरू करने के लिए आवेदन किया है। नोवावैक्स पहले से ही मैन्यूफैक्चरिंग प्लांटों में वैक्सीन का निर्माण कर रही है। विशेषज्ञों की मानें तो यह माना जा रहा है कि सात देशों में मौजूद आठ प्लांट हर साल दो बिलियन डोज तैयार कर रहे हैं।
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जून के बाद वैक्सीन का क्लीनिक ट्रायल
नोवावैक्स ने कहा कि हमने कोरोना के नए स्ट्रेन की रोकथाम के लिए कोरोना वैक्सीन के नए वर्जन का निर्माण शुरू कर दिया है और आने वाले दिनों में इसके मानव परीक्षण के लिए कैंडिडेट्स का चुनाव करेंगे। कंपनी ने कहा कि वह जून के बाद वैक्सीन का क्लीनिक ट्रायल शुरू कर सकती है। आपको बता दें कि पूणे बेस्ड इस फर्म एस्ट्राजेनेका कोविशिल्ड वैक्सीन का भी उत्पादन कर चुकी है, जिसका निर्माण यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड-स्वीडिश कंपनी एस्ट्राजेनेका के सहयोग से किया गया है। केंद्र अब तक कोविशिल्ड वैक्सीन की 11 मिलियन डोज खरीद चुका है। आपको बता दें कि भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 जनवरी को दुनिया के सबसे बड़े कोरोना वैक्सीनेशन की शुरुआत की थी।