असहनीय पीड़ा होती थी शरद पवार ने कहा, “ये कष्टदायक है कि लाखों भारतीय अब भी मुख कैंसर की चपेट में आते हैं। पूर्ववर्ती कई सरकारों ने मुंह के कैंसर के खात्मे के लिए गंभीर कदम उठाए हैं लेकिन अब तक इसके खात्मे को लेकर कोई उल्लेखनीय प्रगति नहीं हो सकी है। उन्होंने इस मुद्दे को संसद में उठाने की बात कही। उन्होंने कहा कि यद्यपि कैंसर ठीक हो चुका है लेकिन इससे हुई असहनीय पीड़ा और मानसिक तनाव आज भी उनको डरा देता है। उन्होंने कहा ” मेरी सर्जरी हुई और दांत उखाड़े गए तो बहुत परेशानी हुई। मैं मुंह तक नहीं खोल पाता था। यहां तक कि खाना निगलने और बात करने में भी दिक्कतें हुईं “। इस मौके पर शरद पवार ने मुख के कैंसर के कारण उन्हें होने वाली बातों का जिक्र करके इस मुहिम से जुड़ने की शपथ ली।
भारतीय दन्त संगठन के प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए कहा कि ” देश में होने वाले सभी तरह के कैंसर में 40 प्रतिशत कैंसर अकेले मुंह के होते हैं। और भारत में मुंह के कैंसर का सबसे बड़ा कारण पान और गुटखा जैसी चीज़े हैं। मुंह के कैंसर की चपेट में आने के बाद मरीज को न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है, हालांकि तंबाकू उत्पादों का सेवन बंद कर इसे आराम से खत्म किया जा सकता है। हमने इसे 2022 तक देश से खत्म करने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए देशभर में 5 हजार केंद्र बनाए जाएंगे, जहां लोगों को कैंसर के बारे में जागरूक करने के साथ ही शुरुआती स्तर पर उनकी जांच की जाएगी।”
इस मौके पर टाटा अस्पताल के मुख और कैंसर रोग विभाग के डॉ. पंकज चतुर्वेदी ने कहा कि हर साल कैंसर कई लोगों की जान लेता है। हैरान करने वाली बात तो यह कि भारत में करीब 4 खरब रुपये मुंह के कैंसर से पीड़ित मरीजों पर खर्च होते हैं लेकिन इसके बाद भी इससे पीड़ित रोगियों की संख्या तेज़ गति से बढ़ रही है। बताते चलें कि भारत में मुंह के कैंसर से पीड़ित रोगियों में 30 प्रतिशत लोग 35 से कम उम्र के होते हैं।