नोबेल कमेटी को लिखा खत
थरूर ने नोबेल पुरस्कार के लिए नामित करने वाली नॉर्वे की नोबेल कमेटी के चेयरपर्सन बेरिट रीस एंडरसन को खत लिखा है। उन्होंने कहा है कि इस बड़ी त्रासदी के दौरान केरल के मछुआरों की आजीविका खत्म हो गई। समुद्र से होने वाली उनकी आमदनी पूरी तरह बर्बाद हो गई। इसके बावजूद भी वे लोग नागरिकों को बचाने के लिए मैदान में कूद गए।
जान पर खेलकर मछुआरों ने किया काम
नोबेल कमेटी को लिख गए खत में कहा गया है कि दरअसल केरल की स्थानीय परिस्थितियों से वहां से मछुआरे ही सबसे ज्यादा परिचित हैं। ऐसे में उनकी ओर से चलाए जा रहे रेस्क्यू ऑपरेशन ने गेमचेंजर का काम किया है। उनकी सहायाता से ही बाकि राहत बचाव दलों ने अधिक से अधिक लोगों को सुरक्षित बचाया है। मछुआरों का समूह दिन रात नाव लेकर पानी में घूम रहे थे, ताकि हर जरूरतमंद को बचाया जा सके।
शशि थरूर की हो रही तारीफ
कांग्रेस सांसद ने नोबेल पुरस्कार के लिए नामित करने वाली कमेटी के चेयरपर्सन को लिखे गए खत में इन बातों का जिक्र किया है। थरूर ने खुद इस दो पन्ने को खत को अपने ट्विटर हैंडल से शेयर कर ये जानकारी दी है। कांग्रेस नेता के इस कदम की सोशल मीडिया पर भी जमकर तारीफ हो रही है।
केरल त्रासदी में 20 हजार करोड़ का नुकसान, 350 से अधिक मौत
बता दें कि केरल में जुलाई 2018 में भीषण बाढ़ ने जबरदस्त तबाही मचाई थी। केरल सरकार ने कहा था कि पिछले 100 साल में इससे ज्यादा तबाही नहीं हुई है। पीएम मोदी के साथ हुई एक बैठक में सीएम पिनराई विजयन ने बताया था कि राज्य को बाढ़ की वजह से 19,512 करोड़ रुपये के जान-माल के नुकसान की आशंका है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस त्रासदी में 350 से अधिक लोगों की मौत हुई जबकि तीन लाख लोग बेघर हुए थे।