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भाजपा मना रही बलिदान दिवस, कश्मीर से धारा 370 हटाकर देगी मुखर्जी को सच्ची श्रद्धांजलि?

Published: Jun 23, 2018 11:32:52 am

Submitted by:

Kiran Rautela

जनसंघ के निर्माता डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पंडित जवाहर लाल नेहरू की कैबिनेट में भी शामिल थे।

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भाजपा मना रही बलिदान दिवस, कश्मीर से धारा 370 हटाकर देगी मुखर्जी को सच्ची श्रद्धांजलि?

नई दिल्ली। देश के महान विचारक, जनसंघ के संस्थापक और भाजपा के प्रेरणा स्त्रोत डाॅ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी की आज पुण्यतिथि है, जिसे हमेशा की तरह बलिदान दिवस के रूप में भी मनाया जा रहा है। बता दें कि 23 जून 1953 में उनका निधन हो गया था। इस दिन को भाजपा बलिदान दिवस के रूप में मनाती आ रही है।
कौन थे डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी

श्यामाप्रसाद मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई, 1901 को कलकत्ता के एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था। श्यामा प्रसाद के पिता आशुतोष मुखर्जी एक शिक्षाविद् के रूप में जाने जाते थे और श्यामाप्रसाद मुखर्जी भी अपने पिता की तरह बहुमुखी प्रतिभा के धनवान थे। डॉ मुखर्जीजी ने 1917 में मैट्रिक की परीक्षा पास की और वर्ष 1923 में विधि की उपाधि हासिल की। इसके बाद वे विदेश चले गये और1926 में इंग्लैण्ड से बैरिस्टर की उपाथि लेकर भारत लौटे।
जनसंघ बनी भारतीय जनता पार्टी

जनसंघ, जो बाद में भारतीय जनता पार्टी में बदल गई उसके नेता अटल बिहारी बाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी ने भी राजनीति की शुरुआत की थी। साथ ही आपको ये भी बता दें कि जनसंघ के निर्माता डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पंडित जवाहर लाल नेहरू की कैबिनेट में भी शामिल थे। बाद में कुछ मुद्दों पर विवाद होने से उन्होंने इस्तीफा दे दिया और एक अलग पार्टी बना ली थी।
गौरतलब है कि महात्मा गांधी और सरदार पटेल के अनुरोध पर वे भारत के मन्त्रिमण्डल में शामिल हुए थे, लेकिन कई मतभेदों के चलते उन्होंने मन्त्रिमण्डल से इस्तीफा दे दिया।

जम्मू-कश्मीर से धारा 370 समाप्त करने की मांग
इसके बाद मुखर्जी ने अक्टूबर, 1951 में भारतीय जनसंघ नाम से एक नई पार्टी बनाई। बता दें कि डॉ॰ मुखर्जी हमेशा जम्मू-कश्मीर को भारत का पूर्ण और अभिन्न अंग मानते थे। यहां तक की डॉ॰ मुखर्जी ने जम्मू-कश्मीर में धारा 370 को समाप्त करने के लिए सबसे पहले आवाज उठाई थी। यहां तक की उन्होंने एक रैली में संकल्प लिया कि वो देश के लोगों को संविधान के नीचे लाएंगे या अपना बलिदान देंगे। इसी संकल्प के साथ वो बिना परमिट के ही जम्मू-कश्मीर के लिए निकल पड़े। ये वो समय था जब जम्मू-कश्मीर में जाने के लिए परमिट की जरूरत पड़ती थी और जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री को प्रधानमंत्री कहा जाता था। लेकिन मुखर्जी इस बात की परवाह किए बिना अपने संकल्प को पूरा करने निकल पड़े।
जम्मू-कश्मीर पहुंचते ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और 23 जून 1953 को बहुमुखी प्रतिभा के धनी मुखर्जी का संदिग्ध हालत में निधन हो गया।

अमित शाह जम्मू-कश्मीर के दौरे पर

बता दें कि इस समय भी जम्मू-कश्मीर के हालात ठीक नहीं हैं। जम्मू- कश्मीर में अभी धारा 370 चल रही है। इसी क्रम में भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह आज से जम्मू-कश्मीर के दौरे पर हैं। बताया जा रहा है कि अमित शाह, भाजपा-पीडीपी गठबंधन के टूटने और धारा 370 पर भी अपनी प्रतिक्रिया देंगे।
दौरे पर निकलने से पहले अमित शाह ने ट्वीट कर श्यामा प्रसाद मुखर्जी को उनके बलिदान दिवस पर श्रद्धाजंलि दी। अमित शाह के इस दौरे से कयास लगाए जा रहे हैं कि जम्मू-कश्मीर से धारा 370 की समाप्ति होगी। अगर ऐसा होता है तो ये देश के महान नायक श्यामा प्रसाद मुखर्जी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
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