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सियाचिन-कारगिल में तैनात रहा ये सैनिक, अब खुद को भारतीय नागरिक साबित करने की लड़ रहा लड़ाई

locationनई दिल्लीPublished: Feb 23, 2019 06:06:12 pm

Submitted by:

Shivani Singh

कश्मीर, कारगिल और सियाचिन में तैनात रहने के बाद भी नहीं मिली भारतीय नागरिकता
सैनिक शाहिदुल इस्लाम भारतीय नागरिकता साबित करने की लड़ रहे हैं लड़ाई
अभी शाहिदुल इस्लाम कोलकता में भारतीय सेना के सूबेदार के तौर पर है तैनात

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सियाचिन-कारगिल में तैनात रहा ये सैनिक, अब खुद को भारतीय नागरिकता साबित करने की लड़ रहा है लड़ाई

नई दिल्ली। पुलवामा हमले में मारे गए शहीदों के लिए पूरे देश में गुस्सा है। हर कोई शहीद के परिवार के लिए अपने-अपने तरीके से संवेदना प्रकट कर रहा है। लेकिन असम का रहने वाला एक ऐसा सैनिक है जो कश्मीर, कारगिल और सियाचिन में तैनात रहने के बाद भी अभी तक अपने ही राज्य में नागरिकता के लिए लड़ाई लड़ रहा है।

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बता दें कि 43 साल के इस सैनिक का नाम शाहिदुल इस्लाम है, जो असम के बारपेटा जिले का रहने वाले हैं। अभी वह कोलकता में भारतीय सेना के सूबेदार के तौर पर तैनात हैं। पीछले साल अक्टूबर में उनकी कोलकता में तैनाती हुई है। उससे पहले वह उत्तरी कश्मीर के बारामूला और सियाचिन ग्लेशियर में अपनी सेवाएं दे चुके हैं।

साबित करनी पड़ रही है नागरिकता

शाहिदुल असम में नागरिकता साबित करने के लिए बारपेटा जिले के विदेशियों के ट्रिब्यूनल नंबर 11 में लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने बताया, ‘मुझे कश्मीर, कारगिल और सियाचिन में तैनात किया गया था। मैं अपने देश से बहुत प्यार करता हूं और इसकी रक्षा के लिए तैयार हूं। लेकिन इन सब के बावजूद मुझे अपने घर असम में एक संदिग्ध नागरिक के रूप में देखा जाता है।’

क्या है मामला

सैनिक ने बताया कि उनके परिवार के खिलाफ 2003 में एक मामला दर्ज कराया गया था। उनके घर विदेशियों को न्यायाधिकरण में पेश होने का नोटिस आया। इस नोटिस में उनकी मां, भाई और उन्हें बीते नौ नवंबर में पेश होने के लिए कहा गया था। उन्होंने बताया कि इस मामले की अगली सुनवाई 18 मार्च को है लेकिन वह तैनाती की वजह से सुनवाई के लिए उपस्थित नहीं हो सकते हैं।

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नाबालिक भाईयों पर भी दर्ज किया गया था मामला

बता दें कि इस मामले में शाहिदुल के पिता अब्दुल हामिद के साथ उनके दो भाई मिजानुर अली (27) और डेलबोर अली (29) का नाम बतौर नाबालिग शामिल किया गया था। इस समय उनके दोनों भाई मिजानुर सीआईएसएफ में हैं और डेलबोर 2010 से सेना चिकित्सा कोर के रूप में काम कर रहे हैं। वहीं, उनके पिता अब्दुल हामिद का साल 2005 में निधन हो गया था।

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