कोर्स पूर्ण करने वाले शिक्षकों को मिलेगा सामग्री का पैसा
इसलिए खास है 203वीं जयंती
सर सैयद ने 1875 में एक स्कूल की स्थापना की, जिसने 1920 में अलीगढ़ विश्वविद्यालय का रूप लिया। उनकी 203वीं जयंती इसलिए भी खास है क्योंकि इस साल उनके द्वारा स्थापित किए गए अलीगढ़ विश्वविद्यालय को भी 100 साल (100 years of amu) पूरे हो रहे हैं।
आधुनिक भारत में रहा अहम योगदान
सर सैयद राष्ट्र निर्माण के काम को आगे बढ़ाने वाली कई संस्थाओं के संस्थापक भी रहे हैं। उन्होंने अपने लेखन और सोच को आगे बढ़ाते हुए उत्तर प्रदेश में कई संस्थाओं की शुरुआत की। उन्होंने अपने जीवन में आधुनिक भारत निर्माण में योगदान देने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। वे चाहते थे कि भारतीय अन्य देशों के लोगों से हर क्षेत्र में आगे रहें।
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गांधी ने बताया था ‘शिक्षा जगत का पैगम्बर’
सर सैयद ने शिक्षा को किसी भी चीज से बढ़कर माना। उनकी इसी सोच के चलते महात्मा गांधी ने उन्हें शिक्षा जगत के पैगम्बर की उपाधि दी थी। वहीं लाला लाजपत राय का कहना था कि बचपन से ही मुझे सर सैयद और उनकी बातों का सम्मान करना सिखाया गया था। वे 19वीं सदी के किसी पैगम्बर से कम नहीं थे।
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र्क्लक से शुरू किया सफर
सर सैयद अहमद खां ने अपने पिता की मृत्यु के बाद छोटी सी उम्र में नौकरी करना शुरू कर दिया था। 1830 में ईस्ट इंडिया कंपनी में र्क्लक की नौकरी की। इसके बाद वे 1841 में उप न्यायधीश बने। वर्ष 1857 में अंग्रेजी सरकार के मुलाजिम भी रहे।