सीवान जिला प्रशासन ने नीतीश सरकार को एक रिपोर्ट भेजकर कहा है कि आरजेडी के पूर्व सांसद शहाबुद्दीन को वापस जेल भेजा जाए।
सीवान। बिहार में दहशत और आतंक का प्रयाय बन चुका माफिया डॉन और आरजेडी नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन 11 साल बाद जेल से रिहा हो गया। वह भागलपुर जेल में बंद था और पटना हाईकोर्ट ने उसे जमानत दे दी। लेकिन उसकी रिहाई से लोगों में दहशत है। कानून व्यवस्था को खतरा है। सीवान जिला प्रशासन ने नीतीश सरकार को एक रिपोर्ट भेजकर कहा है कि आरजेडी के पूर्व सांसद शहाबुद्दीन को वापस जेल भेजा जाए।
रिपोर्ट में कहा गया है कि शहाबुद्दीन के जमानत पर रिहा होने के बाद से आम लोग डर के साए में जी रहे हैं इसलिए उन्हें वापस जेल भेजा जाना चाहिए। रिपोर्ट में प्रशासन ने कहा जब से शहाबुद्दीन जेल से बाहर आए हैं, तब से आम लोग खास तौर कारोबारी खौफ के साए में जी रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, शहाबुद्दीन के खौफ की वजह से बहुत सारे कारोबारियों ने अपनी दुकानें और ऑफिस ही नहीं खोले। बिहार पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की है कि नीतीश सरकार के आदेश पर शहाबुद्दीन को लेकर सरकार को डेली रिपोर्ट भेजी जा रही है।
नीतीश सरकार पर शहाबुद्दीन पर क्राइम कंट्रोल एक्ट लगाकर दोबारा जेल भेजने का भी जबरदस्त दबाव है। बीजेपी नेताओं ने मांग की है कि शहाबुद्दीन पर क्राइम कंट्रोल एक्ट लगाकर उन्हें दोबारा जेल भेजा जाना चाहिए। बीजेपी ने बिहार सरकार से शहाबुद्दीन की जमानत रद्द कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने की भी मांग की है।
सीवान में मारे गए पत्रकार राजदेव रंजन की पत्नी और कुछ अधिकारियों के साथ-साथ तमाम सियासी दल भी शहाबुद्दीन की रिहाई का विरोध कर रहे हैं। राजदेव रंजन की पत्नी ने शहाबुद्दीन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। दिल्ली में वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण भी शहाबुद्दीन की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेंगे। प्रशांत भूषण ये याचिका चंदा बाबू की तरफ से दायर करेंगे, जिनके तीन बेटों की हत्या का आरोप शहाबुद्दीन पर है। चंदा बाबू ने बताया कि वकालतनामा चला गया है। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में जमानत को चुनौती देने के लिए कुछ और कागजात भेजे जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि शहाबुद्दीन को फांसी की सजा होनी चाहिए।